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Navratri 2022 : नवरात्रा का शुभ मुहूर्त सोमवार से -यहाँ से जाने सम्पूर्ण विधि के बारे में |Latest Updates Navratri 2022

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Navratri 2022

नवरात्री की शुरआत कब से यहाँ से जाने इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी।

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हेलो दोस्तों जैसा की आप सब जानते है भारत पुरे विश्व में एक मात्र ऐसा देश है जहाँ पर सबसे ज्यादा त्यौहार मनाये जाते है यहाँ पर हर एक दिन त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इसी प्रकार हिन्दू धार्मिक दीपावली से पहले हम देवी -देवताओ को खुश करने के लिए नौ दिनों तक पूरी विधि विधान साथ पूजा करते है ये नौ दिनों तक चलता हैं। आज हम इसके शुभ मुहूर्त के बारे में और पूजन कैसे करे इसके बारे में पुरी जानकारी जाने। इस तरह की और अधिक खबरों के लिए हमारी वेबसाइट bbchindi.in से जुड़े रहे यहाँ से आपको बहुत सीजानकारी मिलगी।

किस दिन से शुरू नवरात्री मुहूर्त।

हर साल हिंदी कैलेंडर के अनुसार नवरात्री के तारीख बदल दी जाती है। इस साल भी इसकी तारीख बदल गयी है। सक साल नवरात्रा 26 सितम्बर से शुरू की जा रही  है। पहले दिन की नवरात्री का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट पर किया जा सकता है।

सोमवार स शुरू की जाएगी माँ दुर्गा की पूजा।

26 सितंबर से शक्ति आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होने जा रहा है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि शारदीय नवरात्रि पर देवी दुर्गा की पूजा और साधना की जाती है। इसके अलावा देवी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। मां दुर्गा के भक्त इन नौ दिनों में उपवास रखते हुए मां शक्ति की साधना करते हैं।

नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 27 सितंबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म होगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा।इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट पर किया जा सकता है।

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नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कैसे करें| Navratri 2022: नवरात्रा का शुभ मुहूर्त सोमवार से -यहाँ से जाने सम्पूर्ण विधि के बारे में

Navratri 2022

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नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घट स्थापना का विशेष महत्व होता है। ये प्रतिपदा के दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से की जाती है। सप्त धान्य, चौड़े मुंह का मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र मिट्टी, कलश, जल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, साबुत चावल, जौ, लाल वस्त्र, पुष्प। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है।

घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है। जहां घट स्थापित करना है वहां एक चौकी रख कर उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं और फिर उस पर दुर्गा मां की तस्वीर या मूर्ति रखे। इस मूर्ति के दाहिनी ओर गंगा जल छिड़क कर, मिट्टी के पात्र में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें।

फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। इस तरह उपर तक पात्र भर दें। अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।

कलश विधि में को कैसे संपन्न करे। 

तांबे या पीतल का कलश भी स्थापित किया जाता है। कलश में गंगा जल भरें और इसमें आम के पत्ते, सुपारी, हल्दी की गांठ, दुर्वा, पैसे और आम के पत्ते डालें। कलश पर मौली बांधे, उसके बाद पत्तों के बीच मौली बंधा नारियल रखें। दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित करके दीप जलाकर पूजा करें।

यदि कलश के ऊपर ढक्कन लगाना है तो ढक्कन में चावल भर दें और यदि कलश खुला है तो उसमें आम के पत्ते रखें। कलश पर मौली बांधे, उसके बाद पत्तों के बीच मौली बंधा नारियल रखें। दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित करके दीप जलाकर पूजा करें। अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ‘हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।’

आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें। अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ‘हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।’

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