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सऊदी अरब और तुर्की के बीच ताज़ा ड्रोन डील: रक्षा और सहयोग के नए पहलु | Today Latest 2023

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सऊदी अरब और तुर्की के बीच ताज़ा समझौते के बाद, तुर्की की एक कंपनी बायकर ने अब सऊदी अरब के लिए ड्रोन बनाने का संविधान किया है। इस समझौते के बाद दोनों देशों ने निवेश, रक्षा उद्योग, ऊर्जा, और संचार से जुड़े कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन के सऊदी अरब की पहुंचने पर संबंधों को मजबूत करने के लिए एक तीन दिवसीय खाड़ी दौरे का भी हिस्सा रहा।

इस दौरे में जेद्दा शहर में एर्दोगन और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल की एक बैठक हुई, जिसमें विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सऊद और कई उच्च पदस्थ सऊदी अधिकारियों ने शामिल हुए। इस समझौते के माध्यम से तुर्की और सऊदी अरब दोनों देश एक-दूसरे के साथ सशस्त्र बलों की तैयारी को बढ़ाने और अपनी रक्षा और विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने का लक्ष्य रख रहे हैं।

तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन का उद्देश्य इस दौरे के तहत सऊदी अरब के साथ अपने राष्ट्रीय अर्थतंत्र को मजबूत करना और महंगाई को कम करना रहा है। हाल के महंगे ईधन के दौरान तुर्की का चालू खाता घाटा बढ़ गया है, और राजकोषीय अनुशासन बहाल करने की आवश्यकता है। तुर्की के वित्त मंत्री मेहमत सिमसेक ने महंगाई दरों को कम करने के लिए सभी संभव प्रयास कर रहे हैं।

तुर्की के राष्ट्रपति को उम्मीद है कि खाड़ी देशों के समृद्ध खाड़ी देश उनके इस दौरे में मदद करेंगे। खासकर, तेल और गैस के समृद्ध खाड़ी देशों से तुर्की आर्थिक सहायता प्राप्त करने की उम्मीद है।

इस समझौते के तहत तुर्की की कंपनी बायकर और सऊदी रक्षा मंत्रालय के बीच ड्रोन बनाने की डील हो गई है।

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दो देशों के बीच हस्ताक्षरित समझौते से दृढ़ होगा सहयोग: तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने समझौतों पर बातचीत

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दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित समझौते से दृढ़ होगा सहयोग: तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने समझौतों पर बातचीत जारी रखी। इस समझौते के माध्यम से दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ गहरा संबंध बनाने का फैसला किया है। समझौते के बाद विभिन्न क्षेत्रों में निवेश, रक्षा उद्योग, ऊर्जा, और संचार से जुड़े कई मोबाइल समझौते हुए हैं।

राष्ट्रपति एर्दोगन और सऊदी क्राउन प्रिंस के बीच एक नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल की बैठक ने सहयोग को बढ़ाने और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने का महत्वपूर्ण कदम साबित किया। इस बातचीत के माध्यम से तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन को सऊदी अरब के साथ दोस्ताना और सहयोगी संबंध बनाने की उम्मीद है।

दोनों नेताओं के बीच वार्ता के बाद एर्दोगन ने अपने संबंधियों के साथ अल-सलाम रॉयल पैलेस में भी बैठक की। तुर्की के राष्ट्रपति के तीन दिवसीय खाड़ी दौरे का मुख्य लक्ष्य निवेश और वित्तपोषण को बढ़ाने के लिए है। एर्दोगन ने भविष्य में तेल और गैस समृद्ध खाड़ी देशों से तुर्की की सहायता के लिए भी उम्मीद जताई है।

समझौते के बाद, तुर्की की कंपनी बायकर ने सऊदी अरब के लिए ड्रोन बनाने का डील साइन किया है। यह ड्रोन समझौता रक्षा उद्योग को मजबूती प्रदान करेगा और सऊदी अरब के सुरक्षा क्षमता को बढ़ाएगा। इस समझौते से दोनों देशों के बीच विकास और सहयोग का माहौल बनेगा।

एर्दोगन के इस दौरे के बाद, उन्हें अब कतर और संयुक्त अरब अमीरात का भी दौरा करना है। यह दौरा उनके और खाड़ी देशों के संबंधों को और भी गहरा करेगा और उनके राष्ट्रीय अर्थतंत्र को मजबूती प्रदान करेगा। सऊदी अरब, तुर्की, कतर, और संयुक्त अरब अमीरात के बीच ऐसे समझौते और सहयोग के संदर्भ में सक्रिय रूप से विचार-विमर्श करने से दोनों देशों

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के दौरे से उम्मीद है खाड़ी देशों के बीच तैयारी में बढ़ोतरी

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तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के सऊदी अरब दौरे से खाड़ी देशों के बीच सहयोग और तैयारी में एक नई ऊर्जा जगाने की उम्मीद है। राष्ट्रपति एर्दोगन ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए और एक-दूसरे के साथ गहरा संबंध बनाने का फैसला किया।

यह दौरा खासकर तुर्की के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे महंगे ईधन के कारण आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वित्त मंत्री मेहमत सिमसेक ने भी बताया है कि राजकोषीय अनुशासन के बढ़े हुए अभाव को पूरा करने के लिए यह जरूरी है। इस दौरे से उन्हें खाड़ी देशों के साथ व्यापार, निवेश, और सहयोग के नए रास्ते खोजने में मदद मिल सकती है।

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समझौते के माध्यम से तुर्की ने सऊदी अरब के लिए ड्रोन बनाने का डील साइन किया है, जिससे रक्षा उद्योग को मजबूती मिलेगी। यह समझौता दोनों देशों के बीच विकास और सहयोग के लिए एक नई पहलू प्रदान करेगा।

इस दौरे के बाद, राष्ट्रपति एर्दोगन को अब कतर और संयुक्त अरब अमीरात का भी दौरा करना है, जो उनके और खाड़ी देशों के संबंधों को और भी गहरा करेगा। इस दौरे से तुर्की को खाड़ी देशों के संबंधों में अधिक भूमिका और मान्यता मिल सकती है। इससे तुर्की अपने राष्ट्रीय अर्थतंत्र को मजबूत कर सकती है और खाड़ी देशों के साथ एक सशक्त संबंध बना सकती है।

खाड़ी देशों के बीच तुर्की के सऊदी अरब दौरे के प्रमुख परिणाम |सऊदी अरब और तुर्की

  1. सहयोग के बढ़ते संकेत: राष्ट्रपति एर्दोगन और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के द्वारा हस्ताक्षरित समझौते से स्पष्ट होता है कि दोनों देश सहयोग के मामूले बढ़ाने में रुचि रखते हैं। इस समझौते के माध्यम से वे एक-दूसरे के साथ गहरे राजनैतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए एक संयुक्त दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
  2. व्यापार और निवेश के बढ़ते मौके: तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन द्वारा सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस के साथ हस्ताक्षरित समझौते से आर्थिक और व्यापारिक सहयोग में एक सकारात्मक संकेत मिलता है। यह समझौता दोनों देशों के बीच निवेश और व्यापार के मौकों को बढ़ावा देगा और विभिन्न क्षेत्रों में अधिक सहयोग के अवसर प्रदान करेगा।
  3. रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग: एक महत्वपूर्ण परिणाम है तुर्की की कंपनी बायकर द्वारा सऊदी अरब के लिए ड्रोन बनाने का समझौता। यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा उद्योग को मजबूती प्रदान करेगा और सऊदी अरब की सुरक्षा क्षमता को बढ़ाएगा।
  4. खाड़ी देशों के बीच विश्वासपात्र संबंध: राष्ट्रपति एर्दोगन और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच हस्ताक्षरित समझौते ने विश्वासपात्र और समर्थ संबंधों का संदेहवादी माहौल को कम करने में मदद की है। इससे दोनों देशों के बीच विश्वास और समर्थ सहयोग की बढ़ी उम्मीद है।
  5. ताकतवर राजनीतिक संबंध: एर्दोगन के सऊदी अरब दौरे से खाड़ी देशों के बीच ताकतवर राजनीतिक संबंध की संभावना है। इस दौरे से दोनों देश राजनीतिक मुद्दों, क्षेत्रीय सुरक्षा, और आर्थिक विकास के मामलों में एक-दूसरे के साथ गहरे समझौते कर सकते हैं।

इस दौरे से खाड़ी देशों के बीच तुर्की के सऊदी अरब दौरे के प्रमुख परिणामों से दोनों देश एक दूसरे के साथ गहरे संबंध बनाने और सहयोग को बढ़ाने की दिशा में प्रगति कर सकते हैं। यह समझौता राजनीतिक, आर्थिक, और सुरक्षा संबंधों में नए मायने देने में मदद करेगा और दोनों देशों के लिए साथी देशों के साथ सहयोगी भूमिका को समझौते से मजबूत करेगा।

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