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“बालासोर रेल हादसे में कृत्रिम पहचान के द्वारा मृत यात्रियों की पहचान”

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रेल हादसे 2

ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे में जो व्यक्ति मर गए हैं, उनकी पहचान करने के लिए रेलवे अधिकारियों द्वारा एक अद्यतित तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस हादसे में शामिल हुए 288 लोगों में से 83 के शव अब तक पहचान नहीं की जा सकी हैं। इस पहचान कार्य के लिए रेलवे द्वारा एक कृत्रिम मेधा संचालित वेबसाइट और सिम कार्ड की त्रिकोणन विधि का उपयोग किया जा रहा है।

इस तकनीकी प्रक्रिया में, एआई और सिम कार्ड को एकत्रित किए जा रहे डेटा के साथ यूआईडीआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) की एक टीम को सहयोग किया जा रहा है। इसके लिए, रेलवे द्वारा संचालित एक पोर्टल जिसे “संचार साथी” कहा जाता है, उपयोग किया जा रहा है। यह पोर्टल पहले ही रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लॉन्च किया गया था। इस पोर्टल का उपयोग शवों की पहचान करने के

बालासोर रेल हादसे में आईडीआई और सिम कार्ड के जरिए मृत यात्रियों की पहचान हो रही है। इस घटना के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए रेलवे ने कृत्रिम मेधा संचालित वेबसाइट और सिम कार्ड की तकनीक का उपयोग किया है। इस दुर्घटना में मारे गए 288 लोगों की पहचान करने के लिए रेलवे द्वारा बनाई गई यह पहचान प्रक्रिया 83 शवों की पहचान के लिए इस्तेमाल की गई है।

इस पहचान प्रक्रिया में सबसे पहले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीआई) की टीम घटनास्थल पर बुलाई गई थी ताकि मृतकों की पहचान के लिए उनके अंगूठे के निशान लिए जा सकें। लेकिन अंगूठे की त्वचा क्षतिग्रस्त होने के कारण इस उपाय से सफलता नहीं मिली। इसके बाद रेलवे ने “संचार साथी” नामक कृत्रिम मेधा संचालित पोर्टल का उपयोग करने का निर्णय लिया। यह पोर्टल भी हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लॉन्च किया गया है।

“एआई और सिम कार्ड के जरिए बालासोर ट्रेन हादसे के मृत यात्रियों की पहचान”

रेल हादसे

बालासोर ट्रेन हादसे के बारे में आपको जानकारी प्राप्त करने के लिए धन्यवाद। यह दुर्घटना ओडिशा राज्य के बालासोर जिले में हुई थी, जहां ट्रेन दुर्घटना में कई लोगों की मौत हो गई थी। रेलवे और अधिकारियों ने मृत यात्रियों की पहचान करने के लिए एआई (Artificial Intelligence) और सिम कार्ड का उपयोग किया है।

इस हादसे में मारे गए 288 लोगों में से अभी तक 83 शवों की पहचान नहीं हुई थी। पहले, रेलवे ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की टीम को घटनास्थल पर बुलाया था ताकि उनके अंगूठे के निशान लेकर पहचान की जा सके। हालांकि, इस तकनीक का उपयोग कामयाब नहीं साबित हुआ क्योंकि बहुत से शवों में अंगूठे की त्वचा क्षतिग्रस्त हो गई थी और निशान लेना मुश्किल था।

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इसके बाद, रेलवे ने “संचार साथी” नामक कृत्रिम मेधा संचालित पोर्टल का उपयोग करके मृत यात्रियों की पहचान करने के बारे में सोचा। यह पोर्टल बालासोर ट्रेन हादसे

बालासोर ट्रेन हादसे में मृत यात्रियों की पहचान के लिए एआई (Artificial Intelligence) और सिम कार्ड का उपयोग करने की संभावना लाई गई। इस प्रक्रिया में, रेलवे ने एआई को शवों के फोटोग्राफ्स और विवरणों के साथ प्रशिक्षित किया गया। एआई अल्गोरिदम के माध्यम से, शवों की पहचान के लिए चेहरे, अंगूठे के निशान, टैटू, या किसी अन्य पहचानकर्ता तत्व की तुलना की जाती है।

सिम कार्ड का उपयोग इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि मृत यात्री को उसके आवासीय पते से कनेक्ट किया जा सके। रेलवे ने सिम कार्ड कंपनियों से सहयोग करते हुए मृत यात्रियों के सिम कार्ड की जानकारी प्राप्त की है और उसका उपयोग शवों की पहचान में किया जा रहा है।

इस प्रयास के माध्यम से, रेलवे उम्मीदवारों के परिजनों और जनसमुदाय को एक स्थान प्रदान करने का प्रयास कर रही है ताकि वे अपने परिजनों की पहचान कर सकें और उनका शव सुरक्षित रूप से स्वीकार कर सकें।

बालासोर ट्रेन हादसे: एआई और सिम कार्ड से पहचान तकनीक का महत्व

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भारतीय रेलवे में होने वाले ट्रेन हादसों की पहचान और पीड़ित यात्रियों की शिनाख्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। बालासोर ट्रेन हादसे जैसे घटनाओं में अगर किसी यात्री की मृत्यु हो जाती है और उसकी पहचान नहीं होती है, तो इससे उसके परिजनों के लिए भारी संकट उत्पन्न होता है। इस चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है – एआई (Artificial Intelligence) और सिम (Subscriber Identity Module) कार्ड से पहचान तकनीक। इस तकनीक का महत्व और उसके लाभों के बारे में यह लेख विस्तार से बताएगा।

आधुनिक तकनीक के साथ रेलवे अधिकारियों ने एक कृत्रिम मेधा संचालित वेबसाइट और सिम कार्ड का उपयोग करके पीड़ित यात्रियों की पहचान करने की क्षमता को बढ़ाया है। यह तकनीक दुर्घटना स्थल पर मौजूद शवों की पहचान करने में मदद करती है और उनके परिजनों को उनकी मृत्यु की सूचना प्रदान करती है।

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, पहले से ही यात्रीओं को एक यूनिक आईडी (Unique ID) दी जाती है जो उनके सिम कार्ड से जुड़ी होती है। जब कोई यात्री एक ट्रेन हादसे में पीड़ित होता है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो एक संकेत एआई कैमरा (AI camera) शव की तस्वीर लेता है और उसे एक सेंट्रल डेटाबेस में अपलोड करता है।

उसके बाद, एआई अल्गोरिदम शव की चेहरे की पहचान करने के लिए उपयोग होता है। यह अल्गोरिदम शव के चेहरे को विशेषताओं और पहचानकर्ता चिह्नों की तुलना करके उसे डेटाबेस में मिलाता है। जब शव की पहचान हो जाती है, तो सिम कार्ड के ज़रिए यूनिक आईडी के माध्यम से उसकी पहचान की जाती है। यह उपकरण रेलवे कर्मचारियों को तुरंत जानकारी प्रदान करता है और वे शव के परिजनों को सूचित कर सकते हैं।

इस तकनीक के उपयोग से कई लाभ होते हैं। पहले तो, यह मृत यात्रियों की पहचान को तेजी से और सटीकता से करने में मदद करता है।

एआई और सिम कार्ड से पहचान तकनीक

एआई और सिम कार्ड से पहचान तकनीक बालासोर ट्रेन हादसे जैसे घटनाओं में मृत यात्रियों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस तकनीक के उपयोग से यात्रियों की व्यक्तिगत जानकारी और पहचान तत्वों को सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जा सकता है, जो तुरंत पहुंच और शवों की पहचान को सुनिश्चित करने में मदद करता है।

एआई का उपयोग एक विशेषता है जो चेहरे की पहचान को संभव बनाती है। एक विशेषता का उपयोग करके एआई अल्गोरिदम चेहरे के विशेषताओं को जांचता है और उन्हें पहचानकर्ता चिह्नों के साथ मिलाता है। इस प्रक्रिया में उपयोग होने वाले एआई अल्गोरिदम का अधिकांश कार्य ऑफलाइन रूप से होता है, जिससे यह तुरंत और सुरक्षित होता है।

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सिम कार्ड भी एक महत्वपूर्ण तत्व है जो पहचान तकनीक को संपूर्ण करता है। यात्रीओं को एक यूनिक आईडी द्वारा पहचाना जाता है, जो सिम कार्ड से जुड़ा होता है।

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