Fethullah Gulen : एर्दोगन का अंतः फेथुल्लाह गुलेन की मौत और तुर्की की राजनीति का नया मोड़

Fethullah Gulen : गुलेन और एर्दोआन का संबंध कभी बेहद करीबी था। लेकिन समय के साथ उनके विचारों और राजनीतिक लक्ष्यों में टकराव हो गया। गुलेन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने तख्तापलट के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके बाद तुर्की सरकार ने उन्हें देशद्रोही करार दिया। उनकी गिरफ्तारी के लिए तुर्की ने अमेरिका से कई बार अनुरोध किया, लेकिन गुलेन ने हमेशा अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को नकारा किया।

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Fethullah Gulen : तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन के सबसे बड़े विरोधी की मृत्यु: फेथुल्लाह गुलेन का अंत

Fethullah Gulen : तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन के सबसे बड़े ‘दुश्मन’ और पूर्व सहयोगी फेथुल्लाह गुलेन अब हमारे बीच नहीं रहे। अमेरिका में उनकी मृत्यु ने तुर्की की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। गुलेन, जो एक प्रमुख धार्मिक उपदेशक थे, पर 2016 में एर्दोआन के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगा था।

गुलेन की मौत के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि तुर्की की राजनीति में क्या परिवर्तन होते हैं। क्या एर्दोआन की स्थिति और मजबूत होगी या इससे नए विवाद उत्पन्न होंगे? यह सवाल अब सभी के जेहन में है।

उम्मीद है कि गुलेन की मृत्यु तुर्की में स्थिरता लाने में सहायक होगी, लेकिन राजनीतिक हलचलें और परिवर्तन संभावित हैं। इस घटना का प्रभाव तुर्की की आंतरिक राजनीति और विदेश नीति पर भी पड़ सकता है।

Fethullah Gulen: तुर्की के विवादास्पद धार्मिक नेता

Fethullah Gulen : फेथुल्लाह गुलेन, एक प्रमुख धार्मिक नेता, ने तुर्की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक शक्तिशाली इस्लामिक आंदोलन का निर्माण किया, जिसे ‘हिज्मत’ के नाम से जाना जाता है। यह आंदोलन शिक्षा, सामाजिक सेवाओं और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन गुलेन का जीवन विवादों से भरा रहा, खासकर जब से उन पर राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन के खिलाफ तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगाया गया।

गुलेन और एर्दोआन का संबंध

गुलेन ने शुरुआत में एर्दोआन के साथ सहयोग किया, लेकिन समय के साथ दोनों के बीच खाई बढ़ गई। दोनों नेताओं के बीच मतभेद तब उभरे जब एर्दोआन ने गुलेन के नेटवर्क पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। गुलेन ने इन आरोपों का खंडन किया, लेकिन एर्दोआन ने उन्हें देशद्रोही करार दिया और उनके नेटवर्क को ‘कैंसर की तरह’ बताया।

गुलेन की विरासत || Fethullah Gulen

गुलेन की गतिविधियों ने तुर्की में राजनीतिक परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया है। उनकी सोच और दृष्टिकोण ने कई लोगों को प्रेरित किया, लेकिन उनके विरोधियों के लिए वे एक खतरा बन गए। गुलेन का विचार था कि शिक्षा और संवाद के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।

उनकी मृत्यु के बाद, तुर्की में राजनीतिक स्थिति पर गहरा असर पड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनके समर्थक आगे बढ़ते हैं या एर्दोआन की सरकार इस अवसर का लाभ उठाती है।

Fethullah Gulen : गुलेन के आंदोलन पर एर्दोआन सरकार की कार्रवाई: एक गहन दृष्टिकोण

तुर्की की सरकार ने फेथुल्लाह गुलेन के नेतृत्व वाले ‘हिज्मत’ आंदोलन को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया। इस निर्णय के बाद, एर्दोआन प्रशासन ने गुलेन के समर्थकों के खिलाफ कठोर कदम उठाए। हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया, कई स्कूलों और मीडिया संस्थानों को बंद कर दिया गया, और लाखों सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। इन उपायों ने गुलेन के आंदोलन के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को काफी हद तक कम कर दिया।

गुलेन का दृष्टिकोण

Fethullah Gulen : फेथुल्लाह गुलेन एक उदारवादी धार्मिक नेता थे, जिन्होंने लोकतंत्र, शिक्षा, विज्ञान और अंतरधार्मिक संवाद का समर्थन किया। उनका मानना था कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा और संवाद अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। गुलेन का आंदोलन कई सामाजिक सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से लोगों के जीवन में सुधार लाने का प्रयास करता रहा।

सरकार की प्रतिक्रिया

एर्दोआन सरकार की कार्रवाई ने तुर्की में राजनीतिक और सामाजिक माहौल को बदल दिया। गुलेन के समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई को देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक ठहराया गया, लेकिन इसके परिणामस्वरूप अनेक लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। तुर्की की राजनीति में यह घटनाक्रम एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है, जो अब भी चल रहा है।

गुलेन के आंदोलन के खिलाफ सरकार की यह कार्रवाई तुर्की में मानवाधिकारों और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठाती है। भविष्य में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस घटनाक्रम का तुर्की की राजनीति और समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

तुर्की में तख्तापलट की कोशिश: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण || Fethullah Gulen

15 जुलाई 2016 को तुर्की में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन की सरकार के खिलाफ एक सैन्य तख्तापलट की कोशिश की गई। इस प्रयास में सेना के एक गुट ने टैंक, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर्स का उपयोग करते हुए सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास किया। हालांकि, तुर्की की जनता ने अपनी चुनी हुई सरकार का समर्थन किया, जिससे यह तख्तापलट की कोशिश विफल रही।

इस संघर्ष के दौरान बागी सैन्य टुकड़ी और आम जनता के बीच गंभीर झड़पें हुईं, जिसमें 250 से अधिक लोग अपनी जान गंवाए और 2,700 से अधिक घायल हुए। इस दौरान एक महत्वपूर्ण बात यह थी कि जब तख्तापलट का प्रयास हो रहा था, एर्दोआन देश में मौजूद नहीं थे। उन्हें तुरंत वापस लौटना पड़ा, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता की परीक्षा हुई।

गुलेन पर आरोप || Fethullah Gulen

एर्दोआन ने तख्तापलट के प्रयास का आरोप अपने पूर्व सहयोगी फेथुल्लाह गुलेन पर लगाया, जिसे गुलेन ने नकारते हुए इसे अपमानजनक बताया। हालांकि, गुलेन पर लगे आरोप कभी भी साबित नहीं हो सके, लेकिन इसने तुर्की की राजनीति में गहरी दरारें पैदा कर दीं।

फेथुल्लाह गुलेन की मृत्यु || Fethullah Gulen

हाल ही में, फेथुल्लाह गुलेन की मौत की खबर आई। द अलायंस फॉर शेयर्ड वैल्यूज, जो अमेरिका में गुलेन के काम को बढ़ावा देता है, ने बताया कि गुलेन की मृत्यु पेंसिल्वेनिया में उनके घर के पास एक अस्पताल में हुई। जानकारी के अनुसार, गुलेन लंबे समय से बीमार थे और उनकी मौत प्राकृतिक कारणों से हुई।

Fethullah Gulen : द अलायंस फॉर शेयर्ड वैल्यूज ने गुलेन को एक महान बौद्धिक और आध्यात्मिक नेता बताया, जिनका प्रभाव कई पीढ़ियों तक महसूस किया जाएगा। उनके निधन से तुर्की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई चर्चाएँ शुरू हो गई हैं, जो गुलेन के विचारों और उनके आंदोलन पर केंद्रित हैं।

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