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Diwali 2024 : त्योहारों में कारोबार का उछाल: कैसे बढ़ रही है लोकल लोगों की आय?

Diwali 2024 : हाल ही में दशहरा और दुर्गा पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। अब सभी की नजरें दिवाली के पर्व पर हैं, जब लोग खासतौर पर खरीदारी के लिए बाजारों की ओर निकलेंगे। इस साल के त्योहारी मौसम में अनुमान है कि करीब सवा चार लाख करोड़ रुपये की खरीदारी की जाएगी।

Diwali 2024

दिवाली के इस उत्सव में सजावट, मिठाइयां, नए कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी वस्तुओं की मांग बढ़ने की उम्मीद है। यह समय न केवल खरीदारी का है, बल्कि लोकल अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण अवसर है, जहां व्यापारियों और विक्रेताओं को फायदा होता है।

त्योहारों का कारोबार: 4.25 लाख करोड़ रुपये का अनुमान

हाल ही में दशहरा और दुर्गा पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया गया, जिसमें देशभर में दुर्गा पूजा, नवरात्रि और रामलीला जैसे पारंपरिक कार्यक्रम आयोजित हुए। इन दस दिनों में लाखों करोड़ रुपये के सामान की बिक्री हुई। अब आगे दिवाली का त्योहार आने वाला है, जो 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

इससे पहले, रक्षा बंधन और गणेश पूजा जैसे त्योहार भी आए। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में त्योहारों के दौरान कारोबार का अनुमान 4.25 लाख करोड़ रुपये है। यह आंकड़ा त्योहारों के समय खरीदारी के महत्व को दर्शाता है, जहां व्यापारी और उपभोक्ता दोनों के लिए बड़े अवसर मौजूद होते हैं।

अर्थव्यवस्था की मजबूती और रोजगार के अवसर

त्योहारों के दौरान लाखों करोड़ रुपये के सामान की बिक्री से केवल उद्योगपति या दुकानदारों को ही लाभ नहीं होता, बल्कि इससे बड़े पैमाने पर कारीगरों, शिल्पकारों और श्रमिकों को भी रोजगार के अवसर मिलते हैं। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महामंत्री और दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार, त्योहारों के समय देशभर में लाखों लोगों को काम मिलता है।

उत्सव के दौरान पंडाल निर्माण, मूर्ति निर्माण, सजावट, भोजन, कपड़ों, बिजली व्यवस्था, पूजा सामग्री, फल-फूल और अन्य सेवाओं से जुड़े विभिन्न व्यवसायों में भारी मात्रा में गतिविधियाँ होती हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होता है और रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं।

दशहरे में 50 हजार करोड़ रुपये का कारोबार

प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार, दशहरे के 10 दिनों में लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है। अब, अगले 15 दिनों में दिवाली की खरीदारी के चलते देशभर के बाजारों में भारी भीड़ देखने को मिलेगी। इस समय, लोग नए कपड़े, जेवर, और सोने-चांदी के सिक्कों की खरीदारी में जुट जाएंगे।

दिवाली के दौरान होने वाली खरीदारी दशहरे से भी ज्यादा होने की उम्मीद है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि त्योहारों का समय व्यवसायियों और विक्रेताओं के लिए महत्वपूर्ण अवसर लेकर आता है।

त्योहारों पर खरीदारी: 4.25 लाख करोड़ रुपये के पार

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) का अनुमान है कि इस साल त्योहारी खरीदारी करीब 4.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने वाली है। इस आंकड़े में रक्षा बंधन, गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा और दिवाली जैसे प्रमुख त्योहार शामिल हैं।

पिछले साल, इन त्योहारों के दौरान लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी हुई थी। इस साल की वृद्धि से यह स्पष्ट होता है कि लोग त्योहारों के समय खरीदारी में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

त्योहारों का सामाजिक और आर्थिक महत्व

त्योहार न केवल अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं, बल्कि सामाजिक सद्भाव को भी बढ़ाते हैं। इस समय लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, अपने रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताते हैं, और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।

इन आयोजनों से लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिलते हैं, विशेष रूप से कारीगरों, सजावट विशेषज्ञों, मूर्ति निर्माताओं, पंडाल निर्माण में लगे श्रमिकों और अन्य श्रम-आधारित कार्यों से जुड़े लोगों को। इस प्रकार, त्योहारों का समय न केवल व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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