Adani : गौतम अडानी और सागर अडानी पर अमेरिकी जांच: ₹2000 करोड़ रिश्वत का आरोप

Adani : गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर अमेरिकी अदालत में ₹2,029 करोड़ की रिश्वतखोरी के आरोप। जानें SEC और DOJ की जांच, अभियोग की पृष्ठभूमि, अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया, और इस मामले का निवेशकों और व्यापार पर प्रभाव। पढ़ें पूरी खबर।

Adani : गौतम अडानी पर अमेरिकी आरोप, भ्रष्टाचार और रिश्वत का मामला

गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और अन्य छह व्यक्तियों पर अमेरिका के न्यूयॉर्क में अभियोग लगाया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने ₹2,029 करोड़ (265 मिलियन डॉलर) की रिश्वत भारतीय सरकारी अधिकारियों को दी, ताकि “लाभदायक सोलर एनर्जी सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट्स” हासिल किए जा सकें। यह मामला अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा विदेशी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (FCPA) के तहत दर्ज किया गया है।

मुख्य आरोप और तथ्य : Adani

  1. भ्रष्टाचार का दावा: अभियोग में आरोप है कि 2020 में अडानी ग्रुप ने राज्य बिजली वितरण कंपनियों को अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने के लिए ₹1,750 करोड़ की रिश्वत दी।
  2. कोड नेम का उपयोग: अभियोग के अनुसार, गौतम अडानी को “SAG,” “Numero uno,” और “the big man” के कोड नेम से संदर्भित किया गया।
  3. विदेशी अधिकारी का उल्लेख: आरोपों के अनुसार, गौतम अडानी ने “Foreign Official #1” के रूप में एक उच्च सरकारी अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की।
  4. SEC की कार्रवाई: अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) ने भी अडानी ग्रुप के अधिकारियों पर रिश्वतखोरी और न्याय को बाधित करने का आरोप लगाया है।

Adani ग्रुप की प्रतिक्रिया

अडानी ग्रुप ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि अभियोग के सभी आरोप केवल “आरोप” हैं, और दोष सिद्ध होने तक अभियुक्त निर्दोष माने जाएंगे।

राजनीतिक प्रतिक्रिया : Adani

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह मामला कांग्रेस द्वारा लंबे समय से उठाई जा रही मांग को सही ठहराता है कि अडानी समूह के मामलों की जाँच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित की जाए।

1. Adani : क्या है मामला?

गौतम अडानी और सागर अडानी पर आरोप है कि उन्होंने ₹2,029 करोड़ (265 मिलियन डॉलर) की रिश्वत भारतीय सरकारी अधिकारियों को दी, ताकि उनकी कंपनियों को “लाभदायक सोलर एनर्जी सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट्स” मिल सकें। यह आरोप अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) और प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) द्वारा लगाए गए हैं। यह मामला विदेशी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (FCPA) के तहत दर्ज किया गया है, जो किसी भी अमेरिकी संबंध वाली विदेशी रिश्वतखोरी को अवैध मानता है।


2. आरोपों का विवरण : Adani

अमेरिकी अभियोग के अनुसार, अडानी ग्रुप ने राज्य के स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) और अन्य बिजली वितरण कंपनियों से अनुबंध प्राप्त करने के लिए रिश्वत की पेशकश की। अभियोग में दावा किया गया है:

  • ₹1,750 करोड़ की रिश्वत आंध्र प्रदेश की राज्य बिजली वितरण कंपनियों के साथ सात गीगावॉट की सौर ऊर्जा आपूर्ति का अनुबंध सुनिश्चित करने के लिए दी गई।
  • रिश्वतखोरी के दौरान संचार में गौतम अडानी को कोड नाम “SAG,” “Numero uno,” और “the big man” से संबोधित किया गया।

3. शामिल अन्य नाम और संस्थाएं : Adani

अभियोग में अन्य छह व्यक्तियों का भी नाम है, जिनमें शामिल हैं:

  • वनीत जैन: अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के सीईओ।
  • रंजीत गुप्ता: Azure Power Global Ltd. के पूर्व सीईओ।
  • रुपेश अग्रवाल: Azure Power में रणनीतिक और व्यावसायिक अधिकारी।
  • सिरिल कबानेस: एक ऑस्ट्रेलियाई और फ्रांसीसी नागरिक।
  • सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा: कनाडा की एक निवेश कंपनी से जुड़े अधिकारी।

4. अमेरिकी SEC की कार्रवाई : Adani

SEC ने भी अडानी ग्रुप और Azure Power के अधिकारियों पर निवेशकों को गुमराह करने और न्याय में बाधा डालने का आरोप लगाया है। SEC ने इन पर “भ्रष्टाचार योजना” के माध्यम से बैंकों और निवेशकों से अरबों डॉलर जुटाने का आरोप लगाया है।


5. अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया : Adani

अडानी ग्रुप ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वे इन मामलों से संबंधित किसी जांच से अनजान हैं। समूह के प्रवक्ता ने कहा कि आरोप केवल “आरोप” हैं और दोष सिद्ध होने तक अभियुक्त निर्दोष माने जाएंगे।


6. राजनीतिक प्रतिक्रिया : Adani

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने SEC और DOJ की कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि यह मामला कांग्रेस द्वारा लंबे समय से उठाई जा रही मांग को मजबूत करता है। कांग्रेस ने गौतम अडानी और उनके व्यापारिक सौदों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की मांग की है।


7. क्या है विदेशी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (FCPA)?

FCPA अमेरिकी कानून है जो अमेरिकी कंपनियों या उनके विदेशी संबंधों को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है। इस अधिनियम के तहत आरोपितों को भारी जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है।


8. इसका असर अडानी ग्रुप पर : Adani

  • डॉलर बॉन्ड्स में गिरावट: अमेरिकी अभियोग के बाद अडानी ग्रुप के डॉलर बॉन्ड्स में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
  • निवेशकों का भरोसा: इस मामले ने निवेशकों में चिंता बढ़ा दी है, जिससे अडानी ग्रुप की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं।

9. अंतरराष्ट्रीय व्यापार और छवि पर प्रभाव : Adani

यह मामला भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। अडानी ग्रुप की अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं पर भी नजर रखने की जरूरत होगी।


10. भविष्य की दिशा : Adani

Adani ग्रुप के लिए यह मामला एक बड़ा झटका हो सकता है। हालांकि, अदालत के अंतिम निर्णय के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।

अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) ने अडानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी पर अमेरिकी निवेशकों को धोखा देने और अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया है। SEC के अनुसार, यह योजना भारतीय सरकार द्वारा प्रदान की गई बहु-अरब डॉलर की सौर ऊर्जा परियोजना का लाभ उठाने के लिए अडानी ग्रीन और Azure Power जैसी कंपनियों को सक्षम करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। इस मामले में अडानी और अन्य पर फेडरल सिक्योरिटीज लॉ के एंटीफ्रॉड प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।

इस बीच, अमेरिकी न्याय विभाग ने गौतम अडानी पर वायर और सिक्योरिटीज फ्रॉड का आरोप लगाते हुए स्थायी रोक, सिविल पेनल्टी, और अधिकारी पदों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इन आरोपों के बाद अडानी समूह की डॉलर बॉन्ड की कीमतों में भारी गिरावट आई है।

Adani पोर्ट और स्पेशल इकॉनॉमिक जोन के बॉन्ड्स, जो अगस्त 2027 में परिपक्व होने वाले हैं, उनकी कीमत पांच सेंट प्रति डॉलर से अधिक गिर गई। वहीं, अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई और अडानी ट्रांसमिशन के बॉन्ड की कीमतों में भी उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई। इस घटनाक्रम ने वैश्विक निवेशकों के बीच चिंता बढ़ा दी है और समूह की वित्तीय स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। || Adani

ये भी पढें : Vinod Tawde : 40 साल के राजनीतिक सफर पर विनोद तावड़े का बयान: पैसा बांटने के आरोपों पर चुनाव आयोग से जांच की मांग

₹2,000 करोड़ रिश्वत मामले में अडानी ग्रुप जांच के घेरे में

One Reply to “Adani : गौतम अडानी और सागर अडानी पर अमेरिकी जांच: ₹2000 करोड़ रिश्वत का आरोप”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version