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Journalist Sunil Kumar Verma – निष्पक्ष पत्रकारिता किसी भी देश को ऊँचाईयों तक ले जाने में सक्षम

Journalist Sunil Kumar Verma – निष्पक्ष पत्रकारिता किसी भी देश को ऊँचाईयों तक ले जाने में सक्षम है क्योंकि निष्पक्ष पत्रकारिता ही लोकतंत्र को मज़बूती प्रदान करती है और जिस देश का लोकतंत्र मजबूत होता है वह देश सदैव प्रगति की ओर अग्रसर रहता है

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निष्पक्ष पत्रकारिता किसी भी देश को ऊँचाईयों तक ले जाने में सक्षम है क्योंकि निष्पक्ष पत्रकारिता ही लोकतंत्र को मज़बूती प्रदान करती है और जिस देश का लोकतंत्र मजबूत होता है वह देश सदैव प्रगति की ओर अग्रसर रहता है किन्तु किसी भी देश के लिए निष्पक्ष पत्रकारिता करना वर्तमान समय में एक बड़ी चुनौती बन गया है।

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में पत्रकारों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वैसे इस क्षेत्र में चुनौतियों का सिलसिला यह कोई नई बात नहीं है। हम कह सकते हैं कि कॉर्पोरेटर एवं सरकारी दबाव के बीच निष्पक्ष पत्रकारिता करना आज के समय में एक बड़ी समस्या है, ऐसे में कई खबरें या तो दब जाती है या फिर कई खबरों को दबा दिया जाता है। अब ऐसे में निष्पक्ष पत्रकारों पर कई हमले होते हैं और न जाने कितने पत्रकारों की मौत तक हो जाती है।

उदाहरण के लिए डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा राम रहीम की सच्चाई उजागर करने वाले पत्रकार की निर्मम हत्या भी इसलिए की गयी थी। क्योंकि उस पत्रकार ने कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया. ऐसे कई उदहारण है जिसमें पत्रकारों की हत्या की मुख्य वजह उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता थी। ऐसे में प्रेस परिषद को चाहिए कि निष्पक्ष और वास्तविक पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए कारगर कदम उठाए वरना खबर देने वालों की खबर देने वाला भी नही मिलेगा।

पत्रकारों को भी चाहिए कि वे न केवल निष्पक्ष तरीके से मुद्दों को देखें बल्कि एक निष्पक्ष रवैया भी अपनायें। निष्पक्ष पत्रकारिता किसी भी राष्ट्र, देश एवं समाज को ऊचाईयों पर ले जाने में सक्षम हैं।क्योंकि निष्पक्ष पत्रकारिता का हमेशा सम्मान किया जाता है। निष्पक्ष भाव से समाज हित में समर्पित होकर कार्य करना ही सच्ची पत्रकारिता होती है। किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता का व्यवसायीकरण हो गया है, पत्रकारिता कोई पेशा नहीं है,पत्रकारिता में जनविश्वास का होना आवश्यक है।एक निष्पक्ष पत्रकार वही है जिसकी कलम बिकाऊ ना हो, उसने सच्चाई लिखने और बोलने का संकल्प लिया हो।

जो निष्पक्ष हो, सटीक हो। यही एक सच्चे पत्रकार की देशभक्ति है। आज के समय में निष्पक्ष पत्रकारिता समाप्त होती जा रही है, क्योंकि ना तो अब पत्रकार तीखे सवाल कर सकता है और ना ही जवाब मांग सकता है। यहीएक सच्चे पत्रकार की कमज़ोरी है। जिस देश में पत्रकार चाटुकार हों तो फिर किसकी और किस बात पर सवाल जवाब हो? चौथे स्तंभ का निर्माण तीनों स्तम्भों की प्रहरी के लिए किया गया था ना कि चाटूकारिता के लिए।

ऐसे में आम-जन करे तो करे क्या? ये एक अहम सवाल है. निष्पक्ष का अर्थ है कि पत्रकार किसी भी खबर का तर्क दोनों तरफ से जनता तक पहुँचाये,और उसमें पत्रकार के स्वयं के विचार नहीं होने चाहिए। ऐसा नहीं है कि अब पत्रकारिता नहीं की जा रही, लेकिन उससे ज्यादा पत्रकारिता का दिखावा किया जा रहा। मीडिया चैनलों को देखकर ही बता सकते है कि चैनल सत्ता का समर्थक है,या विपक्ष का समर्थक है।और यहीं साबित हो जाता है कि निष्पक्ष पत्रकारिता का अंत हो रहा है। इससे हम कैसे उभर सकते हैं? हमें पहचानने की जरूरत होगी, खबरों की पड़ताल करनी होगी।

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अब ख़बरों को सुनने, पढ़ने वालों की एक और जिम्मेदारी होगी, उन्हें तय करना होगा कि जो खबर वह सुन रहे या पढ़ रहे हैं वह निष्पक्ष है या नहीं। पत्रकार को देश हित में कार्य करना चाहिए न की सत्ता या अपने स्वयं के हित में, यही एक मात्र विकल्प है की हम पत्रकारिता को पूर्ण रूप से मरने से बचा सकते हैं। पत्रकारिता में निष्पक्षता अब एक मुहावरा बन कर रह गया है और इसीलिए यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या वाकई कोई पत्रकार निष्पक्ष रह सकता है ? पत्रकार भी इसी समाज का हिस्सा हैं, समाज में रहते हुए जो कुछ एक पत्रकार देखता समझता है और फिर तय करता है कि उसे कहाँ खड़े होना है।

पत्रकारिता हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। किन्तु आधुनिक युग में पत्रकारिता को भी पैसा कमाने के ज़रिये के रूप में देखा जाने लगा है। देखा जाये तो निष्पक्ष पत्रकारिता आज की एक सबसे बड़ी चुनौती है। पहले भी स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं थी लेकिन अब बद से बदतर ज़रूर होती जा रही। पत्रकार वह है जो किसी भी खबर को बिना तोड़ मरोड़ कर, निष्पक्ष और सटीक जानकारी को आम जन तक पहुँचाये। किन्तु आज के समय में ऐसा नहीं है कुछ गिने-चुने न्यूज़ चैनल ने तो मानो पत्रकारिता की हत्या कर दी हो ।कुछ काफी शोर मचाते हैं कुछ काफी नरम रहते हैं।

सत्ता में जो सरकार रहती है पत्रकार उसी की चाटूकारिता करने पर मजबूर होते हैं। ऐसा ना करने पर पत्रकार को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। अब तो सरकार पर सवाल उठाने पर देशद्रोही घोषित कर दिया जाता है. मनुष्य का स्वभाव है की वह पहले अपने स्वार्थ के में बारे सोचता है और ऐसे पत्रकार सही मायने में देशद्रोही हैं। हकीकत तो ये है कि पत्रकारिता रोजगार नही बल्कि एक उपाधि है, जो खुद से पहले देशहित के बारे में विचार करे।

निष्पक्ष और निर्भीक खबरें दर्शकों तक पहुंचाना ही पत्रकारिता की खास पहचान है।पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, निष्पक्ष पत्रकारिता ही लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करती है लेकिन सवाल उठता है कि क्या आज का मीडिया निष्पक्ष पत्रकारिता करता है? तो आपको बता दें कि सरकारी कागज़ पर छपने वाले अखबार और सरकारी व अन्य विज्ञापन पर चलने वाले न्यूज़ चैनल निष्पक्ष तो कभी नहीं रहे लेकिन पहले हालत इतनी ख़राब नहीं थी अब काफी कुछ बदल चुका है।

हालांकि कुछ न्यूज़ पोर्टल अभी भी निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहे हैं किंतु सरकार उन्हें दबाने में लगी है। भारत देश में निष्पक्ष पत्रकारिता ख़त्म होती जा रही है। समाचार चैनलों पर इस समय निष्पक्ष कुछ भी नहीं दिखाया जाता सब कुछ आर्थिक हितों के अनुसार तय होता है, सब कुछ पहले से ही तय होता है कि क्या दिखाना है और क्या नहीं दिखाना। न्यूज़ चैनल पर चीख चीख कर तेज आवाज में समाचारों की वकालत करते लोगों की आत्मा मर चुकी है और अगर कुछ लोगों की आत्मा जिंदा भी है तो कहीं ना कहीं सच को झूठ और झूठ को सच बनाकर पेश करने की चुभन उनको अंदर ही अंदर महसूस होती रहती है लेकिन वे चाहकर भी इससे निकल नहीं सकते क्योंकि उनकी यह विवशता है कि वे अगर ऐसा नही करेंगे तो उन्हें निकाल दिया जाएगा।

सच कहें तो पूंजीवाद इस कदर देश में हर संस्था पर, पूरे सिस्टम पर हावी हो चुका है कि निष्पक्षता जैसा शब्द तो सिर्फ डिक्शनरी में ही रह गया है। स्वच्छ, निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता से ही लोकतंत्र मजबूत होगा। क्योकि पत्रकार समाज का दर्पण होता है इसलिए एक पत्रकार को वही दिखाना चाहिए जो सच हो, देश के हित में हो सिर्फ़ टीआरपी के लिए पत्रकारिता के सिद्वान्तों, उसूलों से समझौता नहीं करना चाहिए। वर्तमान समय में भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में पत्रकारों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन ये भी सच है की निष्पक्ष पत्रकारिता ही किसी देश को ऊँचाईयों तक ले जाने में सक्षम है अन्यथा देश कभी भी उन्नति नहीं कर सकता है।

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