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भारतीय रेलवे: ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए उपाय

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भारतीय रेलवे दुनिया भर में चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है और लाखों लोग इसे अपनी यात्राओं के लिए उपयोग करते हैं। यात्रियों की सुरक्षा रेलवे के लिए महत्वपूर्ण है और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कई उपाय अपनाए जाते हैं। एक ही ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए भारतीय रेलवे ने कुछ विशेष उपाय अपनाए हैं जो यहां दिए गए हैं।

  1. ट्रैक पर दूरी बनाए रखना: आमतौर पर दो ट्रेनों के बीच 6 से 8 किलोमीटर की दूरी बनाए रखनी जरूरी होती है। जब एक ट्रेन एक स्टेशन से निकलती है और दूसरे स्टेशन पर पहुंचती है, तो स्टेशन मास्टर अगले स्टेशन के इंचार्ज से संपर्क करता है। यदि ट्रेक पर आगे कब्जा है, तो ट्रेन की रफ्तार को कम कर दिया जाता है।
  2. क्षुधा है जो ट्रेनों के बीच की सुरक्षित दूरी बनाए रखने में मैन्युअल हस्तक्षेप को कम करती है। इस सिस्टम में, पटरियों के किनारे रखे सिग्नल बॉक्स सिग्नल को नियंत्रित करते हैं। जब कोई ट्रेन सिग्नल पार करती है, वह लाल हो जाता है, जिससे अगली ट्रेन सतर्क हो जाती है। ट्रेन आगे बढ़ने के लिए हरा सिग्नल का इंतजार करती है।
  3. हरा सिग्नल: जब ट्रेन अगले सिग्नल पर आगे बढ़ती है, पिछला सिग्नल पीला हो जाता है। जब ट्रेन तीसरे सिग्नल से गुजरती है, तो दो पीली बतियां संकेत देती हैं कि दूसरी ट्रेन अधिकतम 50 किमी प्रति घंटे की गति से आ सकती है। लोकोमोटिव पायलट आगे बढ़ने से पहले सिग्नलों की सावधानी से निगरानी करता है और हरा सिग्नल आगे बढ़ने का संकेत देता है। वहीं, लाल सिग्नल यह इंगित करता है कि आगे पटरियों पर कब्जा है और ट्रेन ज्यादा दूर नहीं है। इस स्थिति में लोको पायलट ट्रेन की स्पीड को कम कर देता है।

भारतीय रेलवे में ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए उपाय

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भारतीय रेलवे ने अपने व्यापक नेटवर्क पर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय अपनाए हैं। ये उपाय सुनिश्चित करते हैं कि ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखी जाए ताकि किसी भी दुर्घटना की संभावना कम हो और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का आनंद मिले। यहां हम उन उपायों के बारे में चर्चा करेंगे:

  1. ट्रेनों के बीच नियमित दूरी का पालन: भारतीय रेलवे में नियम बनाए गए हैं जिनके अनुसार ट्रेनों के बीच निश्चित दूरी बनाए रखनी होती है। आमतौर पर, दो ट्रेनों के बीच कम से कम 6 से 8 किलोमीटर की दूरी रखी जाती है। इसका उद्देश्य होता है कि ट्रेनों के बीच आपस में पर्याप्त फ़िज़िकल स्पेस हो जिससे कि वे आपस में सुरक्षित दूरी पर चल सकें।
  2. टरलॉकिंग सिस्टम का उपयोग करके ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने का प्रयास किया है। इस सिस्टम में, पटरियों के किनारे स्थापित सिग्नल बॉक्स सिग्नल को नियंत्रित करते हैं। जब एक ट्रेन सिग्नल पार करती है, तो सिग्नल बॉक्स हरा हो जाता है, जिससे अगली ट्रेन को सतर्कता मिलती है। ट्रेन आगे बढ़ने के लिए हरा सिग्नल देखती है।
  3. आगे बढ़ने के लिए हरा सिग्नल: जब ट्रेन अगले सिग्नल पर आगे बढ़ती है, उस सिग्नल का रंग पीला हो जाता है। यह संकेत देता है कि दूसरी ट्रेन अधिकतम 50 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आ सकती है। लोकोमोटिव पायलट इस सिग्नल का ध्यान रखता है और ट्रेन की गति को इसके अनुरूप कम करता है। यह सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।
  4. सुरक्षा के लिए तकनीकी संशोधन: भारतीय रेलवे ने ट्रेनों की सुरक्षा में सुधार करने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग किया है।

भारतीय रेलवे में ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए उपाय

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अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके भारतीय रेलवे ने ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए कई और उपाय अपनाए हैं। यहां हम उनमें से कुछ उपायों की चर्चा करेंगे:

  1. ट्रेन संकेतक प्रणाली (TPWS): ट्रेन संकेतक प्रणाली एक उन्नत सुरक्षा प्रणाली है जो ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखती है। यह प्रणाली ट्रेनों को स्वचालित रूप से रोक सकती है और दूरी को नियंत्रित कर सकती है यदि कोई खतरा पता चले। इसे प्रमुख मार्गों पर लागू किया गया है और यह ट्रेन सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  2. सतर्कता समन्वय प्रणाली (ATCS): सतर्कता समन्वय प्रणाली भी एक उन्नत सुरक्षा प्रणाली है जो ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखती है। इस प्रणाली में, ट्रेनों के बीच कम्प्यूटर आधारित संचार प्रणाली का उपयोग किया जाता है .
  3. जानकारी साझा करने में मदद करती है। इस प्रणाली के द्वारा ट्रेनों को स्वचालित रूप से रोका जा सकता है और उन्हें दूरी बनाए रखने के लिए संचार किया जा सकता है। यह भी ट्रेन सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  4. दूरी संरक्षण सिस्टम (Distance Protection System): यह एक विशेष प्रकार का संरक्षण सिस्टम है जो ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी का प्रबंधन करता है। इस सिस्टम में, दूरी संवेदक (distance relay) का उपयोग किया जाता है जो ट्रेनों के बीच की दूरी को मापता है और किसी भी अवरोध की सूचना देता है। यदि दूरी कम हो जाती है और दो ट्रेनें आपस में आसन्न हो जाती हैं, तो संरक्षण सिस्टम तुरंत कार्रवाई करता है और ट्रेनों को रोक देता है।
  5. ट्रेन संकेतन सिस्टम (Train Signaling System): ट्रेन संकेतन सिस्टम में संकेतन संबंधित उपकरणों का उपयोग किया जाता है.
  6. सुरक्षा अभियांत्रिकी: भारतीय रेलवे ने सुरक्षा अभियांत्रिकी को महत्वपूर्ण ध्यान दिया है। इसमें नवीनतम और उन्नत सुरक्षा उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि ट्रेन संकेतन प्रणाली, वीडियो सतर्कता प्रणाली, तापमान संवेदक आदि। ये उपकरण दूरी को मापते हैं और किसी भी खतरे की सूचना प्रदान करते हैं, जिससे ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनी रहती है।
  7. नियमों का पालन: भारतीय रेलवे ने सुरक्षा के लिए नियमों का पालन बढ़ाया है। यात्रियों को नियमित रूप से निर्देशित किया जाता है कि वे प्लेटफ़ॉर्म पर सुरक्षा से खड़े रहें, अपने बैग और सामग्री को सुरक्षित रखें और सुरंगों के पास अतिरिक्त सतर्क रहें। यह नियमों का पालन यात्रियों के सुरक्षा को सुनिश्चित
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