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“भारतीय नौसेना: अत्याधुनिक युद्धपोतों और ऑटोनोमस वैसल्स के साथ अग्रणी भविष्य | Today Latest 2023
भारतीय नौसेना ने अपनी युद्ध प्रतिस्पर्धा में नए मील के साथ प्रगति करने के लिए कई उन्नत तकनीकी सुधार किए हैं। भविष्य में नौसेना की योजना है कि अपनी ताकतों को और मजबूत बनाने के लिए नई पीढ़ी के कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम, सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो, और एडवांस्ड डेटा लिंक्स जैसे ऑटोनोमस अनमैंड वैसल्स का विकास करेगी।
ऑटोनोमस वैसल्स का विकास:
भारतीय नौसेना ने ऑटोनोमस वैसल्स के विकास पर काम किया है, जिनमें नाव, वायु और अंडरवॉटर प्लेटफ़ॉर्म को शामिल किया जाएगा। ये ऑटोनोमस वैसल्स सतह और पानी के नीचे रहने की क्षमता से लाभान्वित होते हैं और उन्हें लड़ाई के तरीके में हाइपरसोनिक और डायरेक्टेड-एनर्जी वेपंस की तरह बदलाव आया है। इन वैसल्स में इन-बिल्ट AI एल्गोरिदम के माध्यम से तेजी से खतरों को पहचाना जा सकेगा और युद्धपोतों को युद्ध के लिए सबसे उपयुक्त हथियार चुनने में मदद करेगा।
विभिन्न तकनीकी सुधार:
भारतीय नौसेना ने स्वदेशी कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) के विकास की योजना बनाई है। इस तकनीकी केंद्र में रडार, सोनार, और अन्य सेंसर्स, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सिस्टमों का एकीकरण होगा। इस CMS में इन-बिल्ट AI एल्गोरिदम के माध्यम से तेजी से खतरों को पहचाना जा सकेगा और युद्धपोतों को युद्ध के लिए सबसे उपयुक्त हथियार चुनने में मदद करेगा। यह CMS वर्तमान युद्धपोतों के साथ भी संवाद करने की क्षमता होगी और युद्धपोतों के लिए लंबी दूरी तक डेटा भेजने की क्षमता होगी।
सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो:
भारतीय नौसेना ने तीन विभिन्न वेरिएंट वाले टॉप-लेवल एन्क्रिप्टेड सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो (SDRs) विकसित किए हैं। इन SDRs में मल्टीमीडिया की क्षमता है और वे लंबी दूरी तक डेटा भेज सकते हैं।
“सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो और CMS: भारतीय नौसेना के नए तकनीकी सुधार”
भारतीय नौसेना ने युद्धपोतों के साथ अत्याधुनिक तकनीकी सुधारों के साथ सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो (SDR) और कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) के विकास के लिए बेहतरीन प्रयास किए हैं। ये तकनीकी सुधार भारतीय नौसेना को अपनी युद्ध प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो (SDR): SDR वाहनों के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार है, जो नौसेना को विभिन्न तकनीकी वर्तमानिकाओं को एकीकृत करने और विभिन्न प्रकार के डेटा को लंबी दूरी तक भेजने की क्षमता प्रदान करता है। यह एक सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो के माध्यम से होता है जिसमें डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग का उपयोग होता है जो डेटा के अनुप्रयोग के साथ संवाद करता है। SDR के माध्यम से डेटा लंबी दूरी तक भेजा जा सकता है, जो युद्धपोतों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे युद्ध प्रशासन और फौजी निरीक्षण की क्षमता में सुधार होता है।
कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS): भारतीय नौसेना ने स्वदेशी कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम (CMS) के विकास की योजना बनाई है। यह एक एकीकृत सिस्टम होगा जिसमें रडार, सोनार, और अन्य सेंसर्स, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सिस्टमों का सम्मिलन होगा। CMS में इन-बिल्ट AI एल्गोरिदम के माध्यम से तेजी से खतरों को पहचाना जा सकेगा और युद्धपोतों को युद्ध के लिए सबसे उपयुक्त हथियार चुनने में मदद करेगा। यह एक प्रभावी युद्ध प्रबंधन और नौसेना के परिवारिक वायुयानों के बीच भेजी जाने वाली जानकारी को सम्मिलित करेगा।
भारतीय नौसेना के इन तकनीकी सुधारों के माध्यम से वे अपने युद्धपोतों को अधिक सशक्त बनाकर नौसेना को विश्वभर में एक विश्वसनीय और प्रभावशाली नौसेना बनाने में सफल होने की उम्मीद करती हैं। भारतीय नौसेना अपने युद्धपोतों की ताकत, संवाद, और निरीक्षण की क्षमता में नवीनतम तकनीकी सुधार
“भारतीय नौसेना: भविष्य में तकनीकी विकास की दिशा”
भारतीय नौसेना ने भविष्य में तकनीकी विकास की दिशा में कदम बढ़ाए हैं जो उन्हें विश्वसनीयता और शक्ति में एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने में मदद करेगी। नौसेना ने अपने युद्धपोतों को और अधिक अत्याधुनिक बनाने के लिए नवीनतम तकनीकों के विकास के साथ एक तकनीकी सुधार योजना बनाई है। इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी सुधार शामिल हैं:
1. न्यूनतम मानवीय इंटरवेंशन: भारतीय नौसेना अपने युद्धपोतों में ऑटोनोमस वैसल्स के विकास के माध्यम से न्यूनतम मानवीय इंटरवेंशन पर काम कर रही है। ये वैसल्स स्वचालित रूप से निरीक्षण, युद्ध प्रशासन, और युद्ध के लिए सहायता प्रदान कर सकते हैं जिससे युद्धपोतों के नौसेना जवानों की सुरक्षा में बेहतरी होगी।
2. वैशिष्ट्यपूर्ण CMS: भारतीय नौसेना के लिए एक वैशिष्ट्यपूर्ण CMS के विकास का भी प्रोजेक्ट है। इस CMS में इन-बिल्ट AI एल्गोरिदम के माध्यम से तेजी से खतरों को पहचानने और युद्धपोतों को सही हथियार चुनने में मदद मिलेगी। इससे युद्धपोतों के निरीक्षण और प्रशासन में सुधार होगा और वे अपने नियंत्रक क्षेत्र में और प्रभावी रूप से काम कर सकेंगे।
3. सॉफ़्टवेयर-डिफाइंड रेडियो (SDR): SDR के विकास से भारतीय नौसेना को युद्धपोतों के बीच भेजे जाने वाले जानकारी का सम्मिलन होगा और वे लंबी दूरी तक डेटा भेजने में सक्षम होंगे। इससे नौसेना अपने युद्धपोतों के विभिन्न संवाद और प्रशासनिक कार्यों को सुविधाजनक बना सकेगी।
4. साइबर सुरक्षा: भारतीय नौसेना को साइबर सुरक्षा में भी विकास के लिए ध्यान देने की योजना है। युद्धपोतों को साइबर हमलों से बचाने के लिए नौसेना साइबर रक्षा को मजबूत बना रही है।
साइबर और नेटवर्क सुरक्षा: भारतीय नौसेना की नई उन्नतता
भारतीय नौसेना ने विभिन्न साइबर हमलों और डिजिटल खतरों से अपने युद्धपोतों की सुरक्षा के लिए साइबर और नेटवर्क सुरक्षा में नई उन्नतता देखने का विकास किया है। दुनिया भर में साइबर अपघात बढ़ रहे हैं और ऐसे में नौसेना के लिए अपने युद्धपोतों की सुरक्षा और साइबर सुरक्षा में विशेष ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वृद्धि कारकों:
- साइबर हमलों के खिलाफ अधिकतर प्रतिबंध दूर करने के लिए भारतीय नौसेना ने एक विशिष्ट साइबर और नेटवर्क सुरक्षा प्रोटोकॉल बनाया है। इसमें युद्धपोतों को इंटरनेट और नेटवर्क से सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न तकनीकी सुरक्षा मानदंड शामिल हैं।
- भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोतों में नवीनतम साइबर रक्षा और नेटवर्क सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना शुरू किया है। इन उपकरणों से युद्धपोतों को साइबर हमलों से बचाया जा सकता है और उन्हें नेटवर्क सुरक्षा में मजबूत बनाया जा सकता है।
- नौसेना ने अपने युद्धपोतों में साइबर और नेटवर्क सुरक्षा के लिए विशेष ट्रेनिंग देना शुरू किया है। इसके माध्यम से युद्धपोतों के कर्मचारियों को साइबर हमलों से बचाने और नेटवर्क सुरक्षा के लिए सक्रिय रूप से काम करने की क्षमता मिलती है।