खबर
पुंछ आतंकी हमले पर शुरू हुई राजनीति: दिग्विजय सिंह ने सवाल पूछा- 370 हटाने के बावजूद क्यों नहीं खत्म हुआ आतंक?
पुंछ आतंकी हमले के बाद देशभर में चरम रोष फैला हुआ है। जवानों की शहादत ने देश की जान और अस्मिता को अंधेरे में ढक दिया है। लेकिन इस हमले के बाद कुछ राजनीतिक दलों ने इसे अपनी राजनीतिक मुद्दा बना लिया है।
दिग्विजय सिंह के दावे के अनुसार, केंद्र सरकार की नाकामी के कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बावजूद भी, आतंकवाद का समाप्त नहीं हुआ है। यह सच है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भी आतंकवाद की समस्या जम्मू-कश्मीर में बनी हुई है।
लेकिन देश को यह समझना भी जरूरी है कि आतंकवाद एक जानलेवा समस्या है, जिसे सिर्फ राजनीतिक मुद्दा बनाकर हल नहीं किया जा सकता। इस समस्या को हल करने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। सुरक्षा बलों के साथ-साथ समुदाय के भीतर समाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए उचित नीतियों का विकास करना होगा।
इस समय कश्मीर में दो बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जम्मू और कश्मीर नैशनल कांफ्रेंस (जेएकेएन) राज्य में सत्ता में हैं। जब भारतीय सरकार ने 2019 में जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाई, तो जेएकेएन और अन्य कश्मीरी राजनीतिज्ञ इसे एक आतंकवाद और आपातकाल का कदम बताते हुए इसके विरोध में आए।
दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद भी आतंकवाद नहीं खत्म हुआ। वह इस समस्या के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहते हैं कि इससे जान जाती है कि नैशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने कश्मीर में सुरक्षा बलों की संख्या घटाने के निर्देश दिए थे।
दिग्विजय सिंह ने इससे पहले भी कश्मीर मुद्दे पर अपने विचार रखे हैं। वह कई बार अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर विवादित ट्वीट्स भी करते रहते हैं।
इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने उन सभी व्यक्तियों की आलोचना की जिन्होंने अब तक अपनी निर्णय शक्ति से जम्मू-कश्मीर में आतंक को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। वह अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा था, “370 के हटाने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ता जा रहा है। क्या वहाँ निर्णय नहीं लिए गए हैं? क्या बिना किसी उपाय के दर्शाया जा रहा है कि हम आतंक को काबू करेंगे?”
इस बयान से स्पष्ट होता है कि दिग्विजय सिंह केंद्र सरकार के आतंकवाद पर काबू नहीं कर पाने की नाकामी के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कुछ ऐसा सुझाव देने की कोशिश कर रहे हैं कि लगता है वे संघर्ष निजात पाने के लिए वर्तमान में सत्ता में नहीं होंगे।
यह बात ध्यान दिलाती है कि आतंकवाद को रोकने के लिए न सिर्फ सरकार बल्कि सभी दलों की जरूरत होती है। सभी दलों को इस मुद्दे को भी राजनीति से अलग रखना चाहिए।
“पुंछ हमले के बाद राजनीति में घमासान: दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल”
पुंछ हमले के बाद देश में एक बार फिर से राजनीति का मुद्दा बन गया है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में हुए आतंकी हमले में 5 जवानों की शहादत के बाद सवाल उठ रहे हैं कि आतंकवाद को खत्म करने के बाद भी ऐसे हमले क्यों होते हैं। इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं।
दिग्विजय सिंह ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि केंद्र सरकार की वजह से जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो आतंक पहले घाटी में था, अब वह जम्मू क्षेत्र में भी नजर आ रहा है। इसके बाद वे पूछते हैं कि कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद भी इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है।
दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट से साफ हो रहा है कि उन्हें केंद्र सरकार की नीतियों से गहरी आलोचना है। उन्होंने न तो केंद्र सरकार की कोई नीति की सराहना की है और न ही उसे कोई अच्छा बताया है।
जम्मू कश्मीर के पुंछ में हुए हमले के बाद राजनीति में घमासान मचा हुआ है। देश के कई राज्यों से आए राजनेताओं ने हमले को निंदा करते हुए शहीदों के परिवारों के साथ भागीदारी जताई है। इस बीच, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पुंछ हमले को लेकर केंद्र सरकार पर सीधे आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की वजह से जम्मू और कश्मीर में आतंकी हमले लगातार बढ़ तरहे हैं।
दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि जो आतंक पहले घाटी में दिखता था, अब वह जम्मू रीजन में भी नजर या रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार पर नाकामी का आरोप लगाते हुए कहा कि आतंकी हमलों के बावजूद 370 हटाने से आतंक खत्म नहीं हुआ है।
दिग्विजय सिंह ने इस बात का भी जिक्र किया कि केंद्र सरकार के द्वारा जम्मू-कश्मीर में लगाए गए रोजगार और विकास कार्यों में विफलता के चलते लोगों में निराशा का माहौल बन रहा
पुंछ हमले के बाद राजनीति में घमासान मचा हुआ है और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार पर उठाए आरोपों के बीच विपक्ष और पक्ष के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। दिग्विजय सिंह ने यह कहते हुए बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की गतिविधियों में बढ़ोतरी होती जा रही है, जिसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार को दी जा सकती है।
इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है और उसे नाकाम बताया है। दिग्विजय सिंह ने उठाए आरोपों के अलावा भी कहा है कि अब आतंक की गतिविधियां जम्मू-कश्मीर के बाहर भी फैलने लगी हैं।
दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद सरकार ने इसे नकार दिया है। केंद्र सरकार ने बताया कि उनके नेतृत्व में कठिन निर्णयों से लड़कर जम्मू-कश्मीर में शांति और सुरक्षा की स्थिति में सुधार लाया गया है।
इसके अलावा, देश की राजनीतिक दलों ने भी अपने-अपने पक्ष रखे हैं। कांग्रेस दल के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने इस मामले पर सीधे केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि ये हमले आतंकवादियों की नकारात्मक शक्तियों की वजह से हुए हैं जिन्हें सरकार को खत्म करना चाहिए। उन्होंने इस मामले में आतंकवादियों के नाम पर सवाल उठाते हुए कहा कि 370 हटाने के बाद भी आतंक क्यों खत्म नहीं हुआ।
वहीं, भाजपा दल के सदस्य ने इस मामले पर उत्तर देते हुए कहा कि सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं और उसने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने इस मामले में सरकार के पक्ष में खड़े होते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी और सरकार इसे पूरी तरह से खत्म करने के लिए कदम उठाती रहेगी।
“पुंछ हमले: क्या आतंक के खिलाफ एकजुट होकर समाज को अपना दायित्व निभाना चाहिए?”
पुंछ हमले के बाद देश में सुरक्षा के मामले पर बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं। हमले के बाद से देश में एक संघर्ष शुरू हुआ है कि आतंक के खिलाफ समाज को अपना दायित्व निभाना चाहिए या यह सरकार का काम है।
पुंछ हमले में आठ जवानों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। हमले के बाद देश भर में सुरक्षा बढ़ाने के लिए काफी कदम उठाए गए हैं। जबकि दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने सरकार के खिलाफ आरोप लगाए हैं कि सरकार ने इस मामले में सुरक्षा उपायों में कमी रखी थी।
यह समझना बहुत जरूरी है कि सुरक्षा देश का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। लेकिन समाज को भी इसमें अपना दायित्व निभाना चाहिए। समाज को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर सुरक्षा करने में सहायता करनी चाहिए।
देश में एक तरफ से सरकार सुरक्षा उपायों में बदलाव लाने का काम कर रही है जबकि दूसरी तरफ समाज को इसमें सहयोग देना चाहिए। समाज को सतर्क रहना चाहिए
जब एक समाज के सदस्य अपने देश में आतंकी हमलों का शिकार होता है, तो वह न केवल उस व्यक्ति की बल्कि समाज की निजी जिंदगी पर भी असर डालता है। आतंकी हमले न केवल जीवनों की चुनौती होती हैं, बल्कि वे एक समाज की सांस्कृतिक एवं आर्थिक स्थिति पर भी असर डालते हैं। पुंछ हमले ने भारत को एक बार फिर से आतंक के दागे से चूमा है और इस समय, समाज को एकजुट होकर अपना दायित्व निभाना होगा।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एक समाजी लड़ाई है और समाज को अपना दायित्व निभाना चाहिए। समाज को आतंकवाद को अपने बीच नहीं बैठने देना चाहिए। इसके बजाए, समाज को उस व्यक्ति या समूह को पहचानने की आवश्यकता है जो आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है और उसे सहायता प्रदान करने के लिए उसका साथ देना होगा।
यदि समाज अपना दायित्व नहीं निभाता है, तो आतंकवाद को फैलने के लिए रास्ते में कुछ भी नहीं होगा।