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पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद की ढाल बनता चीन, ड्रैगन का दोगलापन बना पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा
आतंकवाद एक वैश्विक मुद्दा है जिसे पूरी दुनिया ने गंभीरता से लिया है। इस संदर्भ में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में चीन को आतंकवाद के मामले में खतरा बताया है। पाकिस्तान के समर्थित आतंकवाद के मामले में चीन के डोगलेपन भरे रवैये को देखते हुए, विशेषज्ञ इसे बड़े खतरे के रूप में मान रहे हैं।
चीन पाकिस्तान का एक सदाबहार दोस्त है और इस संबंध को कई बार मजबूती से दिखाया गया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री जयशंकर ने उसे “आतंकवाद का केंद्र” कहा है, क्योंकि इसे वहां स्थित अनेक आतंकवादी ग्रुप्स की आश्रयस्थली के रूप में जाना जाता है। इसके बावजूद, चीन ने ब्रिक्स के सदस्य देशों के सम्मेलन के बाद ‘द केप ऑफ गुड होप’ नामक संयुक्त बयान में आतंकवाद की कड़ी निंदा की है।
पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद के पीछे चीन का योगदान: एक खतरा विश्व के लिए
भारतीय विदेश मंत्री के मुताबिक, चीन के आतंकवाद पर सहानुभूति का रवैया खतरनाक है। ब्रिक्स सम्मेलन में चीन पर हमला करते हुए, जयशंकर ने ब्रिक्स के सदस्य देशों को आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता बताई है। उन्होंने चीन को भी सीधे संदेश दिया कि उसका दोगलापन और आतंकवाद के समर्थन में उसका रवैया ब्रिक्स सदस्य देशों के लिए एक बड़ा खतरा है।
चीन और पाकिस्तान के रिश्ते दोस्ताना हैं, और इस दोस्ती ने पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए एक सुरक्षित स्थान बना दिया है। पाकिस्तान में हाफिज सईद, मसूद अजहर, साजिद मीर, और दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादी आतंकी नेताओं को पनाह मिली हुई है। चीन ने अक्सर यूनाइटेड नेशंस में प्रतिबंधित होने वाले पाकिस्तानी आतंकियों को ब्लैकलिस्ट करने वाले प्रस्तावों पर रोड़ा अटकाया है। चीन के
के प्रति पाकिस्तान की सहानुभूति दर्शाने के लिए अपनी वोट डाली है। इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद और सैन्य सहयोग भी प्रदान किया है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक करार के तहत चीन ने पाकिस्तान को बड़ी मात्रा में आर्थिक सहायता दी है और यहां तक कि चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक करार को अपने वन बेल्ट और वन रोड पहल के अंतर्गत शामिल भी किया है।
चीन का आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान के संबंधों में अपना योगदान है। यह आतंकवाद के मुद्दे पर आपसी सहमति और समर्थन का संकेत है जो विश्व सुरक्षा के लिए एक चिंता का विषय है। इसके अलावा, चीन की संयुक्त नाविक बंदी प्रणाली का उपयोग करके पाकिस्तान में आतंकवाद के संगठनों को वितरित किया जा सकता है, जो देश और विदेशी सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है।
यह आतंकवादी संगठनों के प्रति चीन की समर्थना विश्व समुदाय में चिंता का कारण है।
चीन की पाकिस्तान के प्रति समर्थना विपणन तथा गिरोह गठन को बढ़ावा
चीन की पाकिस्तान के प्रति समर्थना विपणन तथा गिरोह गठन को बढ़ावा देती है। चीन की प्रमुख उद्योगिक सेक्टर में अपनी उत्पादन और विपणन क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से पाकिस्तान के विकास को समर्थन किया जाता है। चीनी उत्पादों के प्रवाह को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान और चीन के बीच आदर्श व्यापारिक संबंधों की स्थापना की जा रही है। इसके अलावा, चीन के निवेशकों को पाकिस्तान में विभिन्न क्षेत्रों में आवंटित विशेष आर्थिक क्षेत्रों में आस्थानित करने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
इसके साथ ही, चीन और पाकिस्तान के बीच समरसता और गिरोह कार्य में भी तेजी से सहयोग हो रहा है। दोनों देशों के बीच मिलकर सामरिक और औद्योगिक गिरोहों के संयुक्त अभ्यास आयोजित किए जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और उद्योगिक उन्नयन में सहयोग करना है। इसके साथ ही, सामरिक अभ्यासों और युद्ध प्रशिक्षण कार्यक्रमों
के अलावा, चीन और पाकिस्तान द्वारा संचालित मिलीट्री अभ्यासों और युद्ध प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए दोनों देशों की सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग हो रहा है। यह सहयोग विमानशास्त्र, नौसेना, और सेना के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है। इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद और संबल प्रदान करके उसकी अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद की है। चीन द्वारा पाकिस्तान के लिए प्रदान की जा रही वित्तीय सहायता परियोजनाएं मुख्य रूप से परिवहन, ऊर्जा, और टेलीकॉम्यूनिकेशन क्षेत्र में हैं।
इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान के बीच सुरंग और सड़क निर्माण की परियोजनाएं भी चल रही हैं। यहां तक कि चीन द्वारा प्रदान की गई चीन-पाकिस्तान आर्थिक कर्कशता (CPEC) परियोजना के तहत कई महत्वपूर्ण बांध और बिजली उत्पादन परियोजनाएं पाकिस्तान में विकसित की जा रही हैं।
चीन के प्रति समर्थना और गिरोह गठन के पीछे कई कारण हैं। यहां कुछ मुख्य कारण दिए जाते हैं:
- रणनीतिक आवश्यकता: चीन और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रिश्ते का एक मुख्य कारण रणनीतिक आवश्यकता है। दोनों देशों को अपने विरोधी देशों के प्रति अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत होती है और वे एक दूसरे के समर्थन के माध्यम से इस आवश्यकता को पूरा करते हैं।
- भू-राजनीतिक महत्व: पाकिस्तान चीन के लिए भू-राजनीतिक महत्वपूर्ण है। चीन के लिए पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण साथी देश है जो उसके पड़ोसी देशों में सामरिक और राजनीतिक माहोल को प्रभावित करने में मदद करता है। इसके अलावा, पाकिस्तान चीन के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है जहां चीनी उत्पादों की खरीदारी की जा सकती है और चीनी कम्पनियों को व्यापारिक अवसर प्रदान किया जा सकता है।
- चीन ने पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर आर्थिक सहायता दी है, जिसने पाकिस्तान को उच्चायुक्त संकट से बचाया है और उसकी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में मदद की है। चीन ने भारत के साथ वित्तीय और आर्थिक मदद के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में भी पाकिस्तान की सहायता की है, जैसे कि पाकिस्तान के गावांव क्षेत्र में चीन द्वारा निर्मित चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC)।
- संरक्षण संबंधी मुद्दों पर सहमति: चीन और पाकिस्तान के बीच संरक्षण संबंधी मुद्दों पर सहमति है। दोनों देश एक-दूसरे का समर्थन करते हैं जब विश्वसामरिक मुद्दों पर उठती हैं, जैसे कि जम्मू-कश्मीर विवाद और तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलन। इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान के बीच मिलिट्री सहयोग भी होता है, जिससे दोनों देशों की सुरक्षा को मजबूती मिलती है।