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“पाकिस्तान ने भारत को बाढ़ के पानी का नियमित अपडेट देने की स्वीकृति दी: अपडेटेड समाचार”

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पाकिस्तान ने हाल ही में स्वीकार किया है कि वह भारत के साथ सिंधु जल संधि के तहत बाढ़ के पानी के प्रवाह के बारे में नियमित रूप से अपडेट साझा कर रहा है। यह संधि, जिस पर भारत और पाकिस्तान ने नौ साल की बातचीत के बाद 1960 में हस्ताक्षर किए थे, कई नदियों के पानी के उपयोग के संबंध में दोनों देशों के बीच सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक तंत्र निर्धारित करती है। इस संधि के माध्यम से, पाकिस्तान और भारत दोनों को अपने जल संसाधनों का उपयोग करने की अनुमति है और उन्हें संबंधित मामलों पर सहयोग करना होता है।

पाकिस्तान ने यह भी बताया है कि वह भारतीय नदियों के मुद्दे पर मध्यस्थता न्यायालय और उसके फैसले को स्वीकार करने से इनकार नहीं करता है। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने बताया कि सिंधु जल संधि ने पाकिस्तान और भारत के बीच संदर्भशील मुद्दों का समाधान करने के लिए एक महत्वपूर्ण मानदंड स्थापित किया है और इससे दोनों देशों को फायदा हुआ है।

पहले ही साल में, पाकिस्तान ने भारतीय परियोजनाओं, जैसे कि किशनगंगा और रतले हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजनाओं, पर अपनी तकनीकी आपत्तियों की जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया था। हालांकि, इस अनुरोध को बाद में वापस ले लिया गया और पाकिस्तान ने प्रस्तावित किया कि मध्यस्थता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए। पाकिस्तान ने अपनी पूरी कार्यवाही के लिए प्रतिबद्धता जताई है और उम्मीद है कि भारत भी संधि के प्रति प्रतिबद्ध रहेगा।

हालांकि, भारत ने पिछले महीने बताया था कि उसे अवैध और समानांतर कार्यवाही में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, क्योंकि हाल ही में हेग स्थित न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया था कि वह नए विवादों पर विचार करने की क्षमता रखता है।

“भारत-पाकिस्तान सिंधु जल संधि: भारतीय प्रणाली में बाढ़ के पानी का पाकिस्तान द्वारा अपडेटेड साझा करना”

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पाकिस्तान ने हाल ही में भारतीय प्रणाली में बाढ़ के पानी का नियमित अपडेट साझा करने की स्वीकृति दी है। यह एक महत्वपूर्ण और प्रभावी कदम है जो दोनों देशों के बीच जल संबंधों को मजबूती देने का एक सादा उदाहरण है। इस नवीनतम विकास ने सिंधु जल संधि के प्रावधानों की महत्वता और पाकिस्तान की भारत के साथ सहयोग प्रवृत्ति को पुनर्जीवित किया है।

यह निर्णय पाकिस्तान की विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुमताज़ा ज़हरा बलूच द्वारा किया गया है, जिन्होंने एक साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान इसे घोषित किया। पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल ने बाढ़ के प्रभावों का समीक्षण किया और यह स्पष्ट किया कि वे विश्वास करते हैं कि इस अपडेटेड सहयोग के माध्यम से सुरक्षित और नियमित पानी के निर्वहन की संभावना बढ़ाई जा सकती है।

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सिंधु जल संधि, जिसकी समझौता 1960 में हुई थी, भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी के उपयोग पर सहयोग और सूचना के लिए एक मानदंड निर्धारित करती है। इसे विश्व बैंक द्वारा संबंधित पक्षों के हस्ताक्षर के साथ मंजूरी दी गई थी। यह संधि दोनों देशों को उनके नदी संसाधनों का उपयोग करने की अनुमति देती है और समस्याओं के समाधान के लिए एक माध्यम प्रदान करती है।

पिछले साल, पाकिस्तान ने भारतीय परियोजनाओं पर तकनीकी आपत्तियों की जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया था। हालांकि, यह अनुरोध बाद में वापस ले लिया गया था और पाकिस्तान ने प्रस्तावित किया कि मध्यस्थता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए। पाकिस्तान ने यह स्पष्ट किया है कि वह पूरी तरह से संधि के प्रति प्रतिबद्ध है और उम्मीद करता है कि भारत भी इसे स्वीकारेगा।

भारत ने पिछले महीने यह दावा किया था कि वह उस अदालत में शामिल नहीं हो सकता है, जिसमें पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई अपवादपूर्ण कार्यवाही पर नजर रखी जा रही है। इसका कारण यह है कि सिंधु जल संधि के अनुसार, विवादों का परिष्करण पहले से ही एक तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा किया जा रहा है। इसलिए, भारत ने अपनी पक्षपातहीनता दिखाई है और प्रतिबद्ध है कि वह संधि के आदान-प्रदान के प्रति आग्रह को बनाए रखेगा।

यह समाचार बढ़ते भारत-पाकिस्तान सहयोग और जल संबंधों के प्रति विश्वास को दर्शाता है। यह भारतीय प्रणाली में बाढ़ के पानी का नियमित अपडेट और साझा करने के माध्यम से दोनों देशों के बीच जल संबंधों को और विशेष रूप से सिंधु जल संधि को मजबूत करेगा। इससे साथ ही, दोनों देशों के बीच विवादों के समाधान के लिए एक माध्यम प्रदान किया जाएगा और उनके संबंधों में समझौता और सहयोग की नींव मजबूत होगी।

“भारत और पाकिस्तान के बीच जल संबंधों में सिंधु जल संधि के महत्वपूर्ण नवीनतम विकास”

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भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि के महत्वपूर्ण नवीनतम विकास ने दोनों देशों के जल संबंधों को आगे बढ़ाया है। इस संधि के माध्यम से, दोनों देशों को बाढ़ के पानी के नियमित अपडेट का लाभ मिल रहा है और इससे जल संबंधित विवादों के समाधान की प्रक्रिया मजबूत हो रही है।

इस नवीनतम विकास के माध्यम से, पाकिस्तान ने स्पष्ट किया है कि वह भारत के साथ सिंधु जल संधि के तहत बाढ़ के पानी के प्रवाह के बारे में नियमित रूप से अपडेट साझा करने को तत्पर है। यह साझा करने का कदम सुरक्षित और नियमित पानी के निर्वहन की संभावनाओं को बढ़ाने का महत्वपूर्ण उपाय है।

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भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि एक महत्वपूर्ण समझौता है जो 1960 में हस्ताक्षर किया गया था। यह संधि नदियों के पानी के उपयोग पर सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक मानदंड निर्धारित करती है। इसके माध्यम से, दोनों देशों को अपने जल संसाधनों का संचय, नियंत्रण और उपयोग करने की अनुमति मिलती है।

पिछले साल, पाकिस्तान ने भारतीय परियोजनाओं पर तकनीकी आपत्तियों की जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया था, हालांकि, वह अनुरोध बाद में वापस ले लिया गया। अब पाकिस्तान ने दिखाया है कि वह पूरी तरह से संधि के प्रति प्रतिबद्ध है और भारत के साथ सहयोग के माध्यम से जल संबंधित विवादों का समाधान ढांचे के अनुसार ही होगा।

यह विकास भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में मजबूती और सहयोग की नींव को मजबूत करेगा। दोनों देशों के बीच सिंधु जल संधि के माध्यम से, उन्हें अपने जल संसाधनों का संचय, नियंत्रण और उपयोग करने का साझा मार्ग मिलेगा और उनके बीच विवादों का समाधान संभव होगा। इसके अलावा, यह दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ाने का एक गर्वभारी कदम है।

“जल संबंधों में भारत और पाकिस्तान के बीच बाढ़ पर सहयोग: सिंधु जल संधि के महत्वपूर्ण चरण”

भारत और पाकिस्तान के बीच जल संबंधों में बाढ़ पर सहयोग का महत्वपूर्ण चरण हाल ही में सिंधु जल संधि के अंतर्गत देखा गया है। यह चरण दोनों देशों के बीच जल संबंधों को मजबूत करने का एक और प्रमुख कदम है और बाढ़ के प्रबंधन में सहयोग को बढ़ावा देता है।

सिंधु जल संधि ने भारत और पाकिस्तान के बीच जल संबंधों के लिए एक मानदंड स्थापित किया है। इसमें नदियों के पानी के उपयोग, संचय, नियंत्रण और उपयोग के लिए एक व्यवस्था निर्धारित की गई है। यह संधि दोनों देशों को अपने जल संसाधनों का साझा उपयोग करने में सक्षम बनाती है और उन्हें बाढ़ और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के सामरिक संघर्ष का सामना करने के लिए तैयार रखती है।

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यह चरण महत्वपूर्ण है क्योंकि बाढ़ के प्रबंधन में सहयोग बहुत आवश्यक है। भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश बाढ़ के प्रभावों से प्रभावित होते हैं और बाढ़ के पानी का नियमित अद्यतन और साझा करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह दोनों देशों को बाढ़ के आंकड़ों, जल स्तरों, बांधों की क्षमता, और जल संचय के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा।

इस महत्वपूर्ण चरण के माध्यम से, दोनों देशों के बीच जल संबंधों के प्रबंधन में तेजी और सुगमता आएगी। साथ ही, इससे दोनों देशों के बाढ़ प्रबंधन की नीतियों, योजनाओं, और तकनीकी उन्नति में सुधार होगा। यह भारत और पाकिस्तान के बीच जल संबंधों के लिए आर्थिक, पर्यावरणीय, और सामाजिक विकास का एक महत्वपूर्ण कदम है।

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