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अतीक अहमद हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट में जांच की मांग और अशरफ समेत असद के एनकाउंटर पर सवाल
भारतीय न्यायिक प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद हत्याकांड के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाने के लिए एक बार फिर से चरम पड़ाव पर चढ़ा है। अतीक अहमद, जिसे माफिया दर्जा भी प्राप्त है, और उनके भाई अशरफ अहमद की पुलिस कस्टडी के दौरान हत्या के मामले की जांच के लिए उनकी बहन आयशा नूरी ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजा खटखटाया है। इस घटना के दौरान अशरफ के बेटे असद के एनकाउंटर पर भी संदेह जताया गया है। इस मामले में न्याय के खोज में, आयशा ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में जांच आयोग की मांग की है।
अतीक अहमद और अशरफ अहमद की हत्या का मामला 15 अप्रैल को प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल में पुलिस कस्टडी के दौरान हुआ। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना उस समय हुई जब पुलिस दोनों भाइयों को मेडिकल चेकअप के लिए ले
जब पुलिस दोनों भाइयों को मेडिकल चेकअप के लिए ले गई थी। इस दौरान, तीन हमलावरों ने उन्हें गोलियों से घायल कर दिया। इन हमलावरों को मीडिया कर्मियों का वेशभूषा धारण करके घटना स्थल से गिरफ्तार किया गया। इस घटना में घटित तीन आरोपियों का पहचान शूटर लवलेश तिवारी, अरुण मौर्या और सनी सिंह के रूप में हुआ। वर्तमान में, ये तीनों आरोपी जेल में बंद हैं।
उत्प्रेरणा के रूप में उमेश पाल हत्याकांड का उल्लेख करते हुए अतीक अहमद और उसके परिवार के नाम शामिल होने की आरोपित किया जाता है। उमेश पाल, एक वकील और बसपा विधायक राजू पाल के मुख्य गवाह, 24 फरवरी 2023 को हत्या का शिकार हुए थे। इस हमले में उनकी सुरक्षा में लगे गनर सिपाहियों की भी जान जाने का समाचार आया था। इस घटना में उमेश पाल को उनके घर के बाहर देसी बम से निशाना बनाया गया था। इस हत्याकांड के बाद पुलिस ने असद अहमद का एनकाउंटर कर दिया था .
अतीक अहमद हत्याकांड: एनकाउंटर पर सवाल, बहन की याचिका सुप्रीम कोर्ट में
उम्रकैद मफिया अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की हत्या कांड में नया मोड़ आया है। इस मामले में उनकी बहन आयशा नूरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और उन्होंने एक विशेष जांच आयोग की मांग की है। याचिका में इसका दावा किया गया है कि अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर पर भी संदिग्धता है। यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है और 3 जुलाई को सुनवाई की जाएगी।
अतीक अहमद और अशरफ अहमद की हत्या की घटना 15 अप्रैल को प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल में पुलिस कस्टडी के दौरान हुई थी। जब पुलिस दोनों भाइयों को मेडिकल चेकअप के लिए ले गई थी, तब उन्हें तीन हमलावरों ने गोलियों से घायल कर दिया। तीनों हमलावरों को मीडिया कर्मियों का वेशभूषा धारण करके घटना स्थल से गिरफ्तार किया गया था। इन हमलावरों का पहचान शूट
इस घटना के बाद, प्रयागराज में अतीक अहमद के भाई अशरफ अहमद और अशरफ के बेटे असद के खिलाफ भी संदेह जताए जाने लगे। असद अहमद उमेश पाल के हत्याकांड के मुख्य आरोपी के रूप में गिने जाते थे और उन्होंने झांसी में 13 अप्रैल को पुलिस द्वारा एनकाउंटर किया गया था। इस एनकाउंटर के समय स्टेट ट्रूपर फोर्स (सीटीएफ) ने शूटर गुलाम मोहम्मद को भी मार गिराया गया था। असद के एनकाउंटर पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए थे और उनके खिलाफ संदेह जताए गए।
इसी संदिग्धता के साथ, अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने अपनी भाई और अपने भतीजे के एनकाउंटर के संदेह को लेकर एक विशेष जांच आयोग की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद आयशा नूरी की याचिका और एनकाउंटर की संदिग्धता के संबंध में फैसला
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद, आयशा नूरी की याचिका और अतीक अहमद और असद अहमद के एनकाउंटर की संदिग्धता के संबंध में फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच आयोग की गठन का आदेश दिया है जो इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इस संदिग्ध मामले की जांच करेगा। याचिका में आयशा ने यह दावा किया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके भाई और भतीजे के एनकाउंटर में गलती की है और उनकी मौत में शक है।
इस विशेष जांच आयोग का कार्य उस तबके जजों को सौंपा जाएगा जो निष्पक्ष और स्वतंत्र होंगे और इस मामले की गंभीरता को समझते होंगे। इस आयोग के अध्यक्ष व और उसके सदस्यों को योग्यता और न्यायिक निष्पक्षता के मानकों के आधार पर नियुक्त किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आयशा नूरी की याचिका को सुनने के बाद इस विशेष जांच आयोग की गठन को महत्वपूर्ण माना है। यह आयोग विवेचना करेगा कि अतीक अहमद और असद अहमद के एनकाउंटर में क्या गलती हुई थी, क्या इसमें कोई अनुचितता या अन्य ग़लत कार्यवाही हुई थी, और क्या इसमें किसी प्रकार का शक है। इसके अलावा, आयोग की जिम्मेदारी यह भी होगी कि वे तारीख, समय, और साक्ष्यों का पूरी तरह से मूल्यांकन करें और उचित निष्पत्ति दें।
इस तरह की विशेष जांच आयोगों के गठन का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को सुगम और विश्वसनीय बनाना होता है ताकि लोगों का विश्वास सुरक्षित रहे और उन्हें इंसाफ का यकीन हो। इसके साथ ही, एक स्पष्ट, विवेकशील, और न्यायपूर्ण निष्पत्ति की प्रक्रिया के माध्यम से संदिग्धता के मामलों में जांच और निष्पत्ति करना न्यायिक प्रणाली के मूल्यांकन को सुधारने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
विशेष जांच आयोग के फैसले के पश्चात: आगे की कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया
विशेष जांच आयोग के फैसले के बाद, आगे की कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया शुरू होगी। जांच आयोग को संदेहित मामलों में गंभीरता और विश्वसनीयता के साथ जांच करने की जिम्मेदारी होती है। उन्हें संदिग्धता के मामले में विश्वसनीयता और इंसाफ की प्रक्रिया के साथ कार्रवाई करनी चाहिए।
जांच आयोग की टीम सभी आवश्यक साक्ष्यों का मूल्यांकन करेगी, गवाहों के साक्ष्य सुनेगी और गवाहों, साक्ष्यों और आरोपियों के बीच संवाद करेगी। विशेष जांच आयोग इस प्रक्रिया के दौरान न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए सख्ती से कार्य करेगा।
जांच आयोग के फैसले के बाद, यदि किसी आरोपी के खिलाफ आपराधिक मामला साबित होता है, तो उसे न्यायिक प्रक्रिया के तहत जमानत या गिरफ्तारी की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
संदेह के आधार पर किसी आरोपी को दोषी पाया जाता है, तो विशेष जांच आयोग उसे मुख्यालय में आरोपित करेगा और उसके खिलाफ अभियोग दायर किया जाएगा। उसके बाद, न्यायिक प्रक्रिया अपना पथ चुनेगी और उसे न्यायिक दण्ड या सजा की प्रक्रिया के तहत सुनाया जाएगा।
यह महत्वपूर्ण है कि विशेष जांच आयोग की जांच और न्यायिक प्रक्रिया अविचलित और निष्पक्ष रहे। यह सुनिश्चित करने के लिए, याचिकाकर्ता, आरोपी और सार्वजनिक समुदाय को यकीन दिलाने की जरूरत होती है कि विशेष जांच आयोग उचित रूप से आपराधिक मामलों की जांच कर रहा है और न्यायिक प्रक्रिया न्यायाधीशता और संवेदनशीलता के मानकों के अनुरूप आगे बढ़ेगी।
इस प्रकार, विशेष जांच आयोग और उसके फैसले के बाद, आरोपियों और आपराधिक मामलों के खिलाफ आगे की कार्रवाई न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से होगी। यह न्यायिक प्रक्रिया न्यायाधीशता, न्यायिक दण्ड, और संवेदनशीलता