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Diwali date 2022: दीपाली 25,धनतेरस नरक चतुर्दशी की तारीख को लेकर कंफ्यूजन जानिए ज्योतिषियों की राय | Latest News 2022

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Diwali date 2022:

दिवाली 2022 की तिथि, समय और शुभ मुहूर्त (Diwali 2022 Date, Time and Shubh Muhurat): दीपावली हिंदू धर्म का विशेष त्योहार है। दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत.

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दीपावली पुरे भारत में सबसे बड़ा त्यौहार है। जिसे भारत में बहुत धूम -धाम से मनाते है। लेकिन इस साल इसकी तिथि को लेकर सही अनुमान नहीं लग रहा है। आप इसके बारे में पुरी जानकारी आपको हमारी वेबसाइट bbchindi.in पर मिलेगी तो बने रहे अंत तक।

Diwali 2022 Date and Time: दिवाली (दीपावली) हिंदू धर्म में सबसे बड़ा और विशेष त्योहार है। इस दिन सभी की कोशिश रहती है की वह इस पर्व को अपने परिवार के लोगों के साथ मनाए। इसलिए ट्रेन, बस आदि का रिजर्वेशन कराने के लिए आप पहले से ही जानना चाहेंगे की दीपावली का पर्व कब है।

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली पर्व परंपरा अनुसार मनाया जाता है।जानें कब है दीपावली।

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24 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि मौजूद रहेगी। उसी दिन निशित काल में भी अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए 24 अक्टूबर को ही सर्वमान्य रूप से पूरे देश में दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।

ज्योतिष विधि विधान के अनुसार, संजोग कुछ ऐसा बना है कि नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है वो भी इसी दिन है।

24 तारीख को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी और अमावस्या तिथि आरंभ होगी।

मिठाई बांटते हैं।Diwali Narak chaturdashi 2022: Solar eclipse कार्तिस मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस, चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है।

लेकिन इस बार दिवाली को .कार्तिस मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस, चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है। लेकिन इस बार दिवाली को छोड़कर धनतेरस, नरका चौदस और गोवर्धन पूजा की तारीख को लेकर कंफ्यूजन है। दरअसल इस बार 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है।

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इसलिए इस बार तीनों त्योहारों की तिथियों को लेकर संशय है। कई ज्योतिषियों की मानें तो धनतेरस 23 अक्टूबर को है और 24 अक्टूबर को नरक चतुदर्शी और दिवाली एक दिन। वहीं कई और ज्योतिषियों का कहना है कि धनतेरस 22 अक्टूबर शनिवार को है। इसके पीछे उनका तर्क है कि इस बार कार्तिक के महीने में सप्तमी तिथि बढ़ रही है।

इसलिए चतुदर्शी 23 को शाम को शुरू होगी और 24 को शाम को खत्म होगी, इसलिए दिवाली 24 को मनाई जाएगी, क्योंकि दिवाली पर अमावस्या तिथि की रात को पूजा की जाती है।

इस बार चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर की शाम 5.04 से आरंभ हो रही है जो 24 अक्टूबर की शाम 5.04 तक है। ग्रहण के कारण 25 को अमावस्या होने पर भी दीपावली नहीं मनाई जाएगी।

ज्योतिषियों की मानें तो इश बार 25 को प्रात:काल 4.20 (‌ब्रह्म मुहूर्त ) से ही ग्रहण का सूतक शुरू हो रहा है। सूर्यग्रहण का समय संध्या 4.22 से शुरू होगा और मोक्ष 5.30 पर होगा। दीपावली पर ऐन्द्र और मित्र योग का संयोग बन रहा है। शुभ योग में महालक्ष्मी,कुबेर आदि का पूजन होगा।

यहाँ से जानिए सभी की तिथियों के बारे में | Diwali date 2022: दीपाली 25,धनतेरस नरक चतुर्दशी की तारीख को लेकर कंफ्यूजन जानिए ज्योतिषियों की राय | Latest News 2022 

22 अक्टूबर शनिवार धनत्रयोदशी

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23 अक्टूबर रविवार छोटी दीपावली

24 अक्टूबर सोमवार दीपावली

25 अक्टूबर मंग़लवार सूर्य ग्रहण

कब से शुरू होगा ग्रहण। 

4 बजकर 22 मिनिट से शुरू हो ग्रहण का आगवन। इस प्रक्रिया के बीच ग्रहण की प्रक्रिया आपको पूरी करनी पड़ेगी। हरियाली अमावस्या के दिन घर के ईशान कोण में लाल रंग के धागे से बनी बत्ती का प्रयोग करते हुए गाय के घी का दीपक जलाएं। ध्यान रखें कि बत्ती रूई की न हो और दीपक में थोड़ी सी केसर भी जरूर मिलाएं।

इसके बाद कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। फिर रात के समय पांच लाल फूल और 5 दीपक बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।

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ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन लाभ के योग बनते हैं।रोजगार की तलाश करने वाले युवा हरियाली अमावस्या को किसी भी मंदिर मर जाकर भगवान के चरणों में नीबू  रखे और फिर उन्हें अपने घर लाकर पूजा कक्ष में रख दे।

इस उपाय से धन लाभ के बनते हैं योगहरियाली अमावस्या के दिन कालसर्प दोष को दूर करने के लिए सुबह स्नान व ध्यान करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें और शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद चांदी के बने हुए नाग-नागिन की पूजा करें और फिर उनको सफेद फूल के साथ बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।

ऐसा करने से कालसर्प दोष दूर होता है और शिवजी का आशीर्वाद मिलता है।हरियाली अमावस्या के दिन पीपल की पूजा और वृक्षारोपण करने से ग्रह दोष शांत होते हैं।

इस दिन सुबह-शाम पीपल की जड़ में दूध और जल अर्पित करें। इसके बाद मालपुआ के साथ पांच तरह की मिठाई भी रखें और फिर धूप-दीप से पूजा करके परिक्रमा करें। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है और भाग्य में वृद्धि होती है। इस दिन आप तुलसी, वट, अशोक आदि के पौधे जरूर लगाएं।

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